मां का दूध बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी

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श्रीनगर गढ़वाल : बेस चिकित्सालय श्रीकोट में बाल रोग विभाग के तत्वावधान में विश्व स्तनपान दिवस सप्ताह पर नवजात शिशुओं की माताओं को स्तनपान कराने के बारे में जागरूक किया गया। थीम क्लोजिंग द गैप-ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल’ पर स्तनपान को प्रोत्साहन देने के लिए व प्रसूताओं को नवजात बच्चों को प्रथम आहार के रूप में मां के दूध के लिए प्रेरित करने के लिए डॉक्टरों द्वारा जानकारी दी गई। विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अंकिता गिरी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि मां का दूध छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी होता है।
बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. सीएम शर्मा ने कहा कि वल्र्ड ब्रेस्टफीडिंग के महत्व के बारे में सबको समझना होगा। मां का दूध नवजात बच्चे के लिए पूरा आहार होता है, इससे बच्चों को जरूरी पोषण मिलता है साथ ही इम्यूनिटी विकसित होती है और पोस्टपार्टम रिकवरी जल्दी होती है और और ब्रेस्ट कैंसर से भी बचाव होता है। बाल रोग विभाग के चिकित्सक डॉ. अशोक शर्मा ने कहा कि स्तनपान शिशु के जन्म के पश्चात एक स्वाभाविक क्रिया है। भारत में अपने शिशुओं का स्तनपान सभी माताऐं कराती हैं, लेकिन पहली बार मां बनने वाली माताओं को शुरू में स्तनपान कराने के लिये जागरूकता जरूरी है। स्तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव में जानकारी न होने के कारण बच्चों में कुपोषण का रोग एवं संक्रमण से दस्त हो जाते हैं। कहा कि स्तनपान से बच्चे के इम्यून सिस्टम को बढ़ावा मिलने, शिशु मृत्यु दर को कम करने के साथ ही सबसे महत्वपूर्ण श्वसन पथ के संक्रमण, मधुमेह, एलर्जी रोगों जैसे संक्रमणों और बचपन में होने वाले ल्यूकेमिया के विकास के जोखिम को कम करता है। मौके पर विभाग के सभी सीनियर डॉक्टर, पीजी जेआर, काउंसलर सहित आदि मौजूद थे। (एजेंसी)

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