उत्तराखंड के पर्वतीय समुदाय को जनजाति का दर्ज मिले

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देहरादून()। राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने राष्ट्रपति से उत्तराखंड के पर्वतीय समुदाय को जनजाति घोषित करने की मांग की है। दल कार्यकर्ताओं ने सोमवार को राष्ट्रपति से मिलने के लिए विधानसभा कूच किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें पहले ही रोक दिया। मौके पर पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष कुमार को कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन दिया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक लगभग ढाई सौ जातियों को जनजाति का दर्जा दिया जा चुका है, लेकिन उत्तराखंड से 1974 में ट्राइबल का स्टेटस वापस ले लिया गया था। उन्होंने इसे दोबारा से बहाल करने की मांग की। पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने कहा कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू खुद भी संथाल जनजाति से हैं। पार्टी को उम्मीद है कि वह उत्तराखंड की इस जायज मांग को संवेदनशीलता से लेंगी। महानगर अध्यक्ष नवीन पंत ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी, पद्दारी और गड्डा ब्राह्मण समुदायों को जनजातीय दर्जा दिया गया। सुशीला पटवाल ने कहा कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 1965 में गठित लोकुर समिति ने अनुसूचित जनजातियों की पहचान के लिए पांच प्रमुख मानदंड निर्धारित किए थे। गढ़वाली और कुमाऊंनी समुदाय उन सभी मापदंडों को पूरा करता है। मौके पर शशी रावत, मीना थपलियाल, बसंती गोस्वामी, शुशीला पटवाल, मंजू रावत, रेनू नवानी, सुनीता, नवीन पंत, भगवती प्रसाद नौटियाल, भगवती गोस्वामी आदि मौजूद थे।

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