मुख्य वन संरक्षक से की मालन नदी का निरीक्षण करने की मांग
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। वरिष्ठ नागरिक मंच ने मुख्य वन संरक्षक देहरादून उत्तराखण्ड सरकार से मालन नदी का निरीक्षण करने की मांग की है। मंच के सदस्यों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मालन नदी में चैनलाइजेशन के नाम पर नियमों के विरूद्ध खनन किया जा रहा है। जिससे भविष्य से नदी किनारे बसी कॉलोनियों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है।
मंच के प्रचार प्रसारण सचिव आरसी कोठारी ने मुख्य वन संरक्षक को भेजे पत्र में कहा कि मालन नदी के कटाव कोटद्वार-हरिद्वार मोटर मार्ग के बांई ओर कई गांव बसे है और दाहिनी तरफ जंगल है। ग्राम कोटला, गोरखपुर, मवाकोट, नन्दपुर, शिवराजपुर, देवरामपुर की लगभग 600 बीघा जमीन बाढ़ की चपेट में आ गई है। वन विभाग की कई हेक्टेयर जमीन, जंगल व प्लान्टेशन भी बरसात में धराशाही हो जाते है। उन्होंने कहा कि नदी का ठेका वन निगम को दिया गया है, वन निगम की ओर से मालन नदी में नियमों के विपरीत खनन कराया जा रहा है। बीच नदी में बड़े-बड़े बोल्डर छोड़ दिये है, जिस कारण मालन नदी का बहाव वन विभाग की भूमि की तरफ और आबादी की ओर हो गया है। उन्होंने कहा कि जब तक वन विभाग मालन नदी में चुगान करवाता था तब तक उसमें सही काम होता था, लेकिन अब नियमों के विरूद्ध खनन होने से नदी के बीचों बीच में चार-पांच मीटर ऊंची हो गई है और बड़े-बड़े टीले बन गये है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तराखण्ड सरकार वन विभाग की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। वन विभाग की ईमानदार छवि का जनता में गलत संदेश जा रहा है।