नगर निगम खड़ा बाजार में मांगे अतिक्रमणकारियों की खैर
-40 गज के पट्टे पर 135 गज करवा लिया फ्री होल्ड, देखता रहा प्रशासन
-सब कुछ जानने के बाद भी नगर निगम कार्रवाई को तैयार नहीं, झाड़ रहा पल्ला
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : सरकारी जमीनों पर खुलेआम कब्जा होते हुए और सिस्टम का मजाक बनते हुए देखना है तो कोटद्वार से बेहतर जगह नहीं मिल सकती। यहां अधिकारियों व अतिक्रमणकारियों की मिलीभगत से पट्टे में मिली जमीन की एवज में कई ज्यादा सरकारी जमीन फ्री होल्ड करवा दी गई और अब यही अतिक्रमण आमजनता के लिए मुसीबत बन गया है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम शहर से अतिक्रमण तो हटा रहा है, लेकिन उस अतिक्रमण का कुछ नहीं कर पा रहा है जो फ्री होल्ड के नाम पर किया गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या फ्री होल्ड के नाम पर सरकारी जमीन पर किए गए इस अवैध कब्जे को नगर निगम के साथ ही सरकार और पूरा सिस्टम वैध मान चुका है या इस पर कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी। उधर, इस पूरे मामले में जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में नजर आ रही है। क्योंकि फ्री होल्ड का अधिकार जिला प्रशासन के पास होता है, ऐसे में नगर निगम प्रशासन भी इस मामले में लाचार नजर आ रहा है।
आमतौर पर जब भी कोई आदेश आता है तो उसका पालन सबसे पहले ऐसे लोगों पर करवाया जाता है, जो गरीब तबके के हैं या ऊंची पहुंच नहीं रखते हैं। शायद ऐसे लोगों पर आदेशों का पालन करवाना बहुत आसान हो जाता है। वहीं, इसके उलट जो लोग संपन्न हैं या ऊंची पहुंच रखते हैं उन पर सिस्टम का भी बस नहीं चल पाता और कोई भी आदेश उनके सामने हवा हो जाता है। नगर से हटाए जा रहे अतिक्रमण के मामले में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। जिन लोगों का अतिक्रमण हटाना आसान था, वहां निगम से ताबड़तोड़ अतिक्रमण हटवाए। लेकिन कुछ लोग अभी भी ऐसे हैं, जिन्होंने फ्री होल्ड के नाम पर कई गज सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है और निगम प्रशासन उनका कुछ भी नहीं कर पा रहा है। इन अतिक्रमणकारियों ने तो नगर निगम का फुटपाथ भी फ्री होल्ड करवा दिया है। ऐसे में तत्कालीन अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ रही है, जिनके कार्यकाल में यह अवैध कब्जे का खेल खेला गया। बताया जा रहा है कि कई लोगों को पट्टे में 35 से 40 गज की भूमि लीज पर मिली थी। इनमें कुछ ने अपनी पहुंच व धन का लाभ उठाकर 40 की जगह 135 गज भूमि फ्री होल्ड करवा दी। अब नगर निगम प्रशासन भी इसे गलत मान रहा है, लेकिन कुछ भी कार्रवाई करने में खुद को असमर्थ बता रहा है। ऐसे में क्या सही मायने में सरकारी भूमि से कब्जा हट पाएगा और कोटद्वार की जनता को चलने के लिए फुटपाथ मिल पाएगा, यह एक बड़ा सवाल नगर की हवाओं में तैर रहा है।
कहां गया नगर निगम का फुटपाथ
नगर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलने से पहले कुछ लोगों का कहना था कि जब अतिक्रमण हो रहा था, तब प्रशासन व अधिकारी कहां थे। तब क्यों इसका विरोध नहीं किया गया। शायद उन लोगों का सवाल बिल्कुल सही है, क्योंकि खुलेआम कोटद्वार के नेशनल हाईवे से लेकर तमाम संपर्क मार्गों में फुटपाथ पर अतिक्रमण कर दिया गया और जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे रहे। इसी का नतीजा है कि आज नगर में कहीं भी फुटपाथ नजर नहीं आता। यदि अतिक्रमण के इस खेल की निष्पक्ष जांच की जाएगी तो कई अधिकारियों के भ्रष्टाचार की पोल खुलने की पूरी संभावना है।
अतिक्रमण अचानक कैसे आ गया गिरासू भवन की सूचनी में
गत 23 जून को नगर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत नेशनल हाईवे पर एक भवन को आंशिक रूप से तोड़ा गया। इसके बाद निगम के अधिकारियों ने निर्देश दिए कि बाकी के अतिक्रमण को भी जल्द हटाया जाए। इसके कुछ दिन बाद ही उक्त भवन को गिरासू घोषित कर दिया गया और अब इस भवन को नहीं तोड़ा जा रहा है। सवाल यह है कि क्या निगम को पहले से पता नहीं था कि यह भवन गिरासू है। क्या इस भवन को बचाने के लिए इसे आननफानन में गिरासू घोषित किया गया है।
आखिर क्यों नहीं हो रही दोषियों पर कार्रवाई
सबकुछ जानने के बाद भी नगर निगम प्रशासन अतिक्रमणकारियों पर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है। आखिर क्यों वह पूरे मामले से पल्ला झाड़ता हुआ दिख रहा है। इस तरह के कई सवाल बाजार में चर्चा का विषय बने हुए हैं। यदि अधिकारी गंभीरता से कार्य करें तो सरकारी जमीन से कुछ ही दिन में अतिक्रमण हट सकता है, लेकिन ऐसी क्या मजबूरी है जो अधिकारी इस प्रकार की गंभीरता दिखाने से पीछे हट रहे हैं। बताया जा रहा है कि अगर फ्री होल्ड के नाम पर किए गए इस अतिक्रमण की गंभीरता से जांच की गई तो कई अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं, जिनकी मिलीभगत से यह भ्रष्टाचार किया गया। आरोप है कि इन्हीं अधिकारियों व अतिक्रमणकारियों को बचाने के लिए मामले में पर्दा डाला जा रहा है।
क्या कहते हैं नगर निगम के आयुक्त
कोटद्वार नगर निगम आयुक्त किशन सिंह नेगी का कहना है कि कई लोगों ने पट्टे में मिली जमीन से ज्यादा भूमि अपने नाम फ्री होल्ड करवाई है। इनके खिलाफ कार्रवाई को लेकर जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। जिसमें मांग की गई है कि इन लोगों का फ्री होल्ड निरस्त कराया जाए। इन अतिक्रमणकारियों में कई तो ऐसे हैं, जिन्होंने फुटपाथ भी फ्री होल्ड करवा दिया। उनका कहना है कि निगम प्रशासन इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकता।