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मुस्कान ज्योति घोटाला: पूर्व अधिशासी अधिकारी व प्रधान लिपिक दोषमुक्त

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : वर्ष 2011 में कोटद्वार नगर निगम में हुए मुस्कान ज्योति घोटाले में न्यायिक मजिस्ट्रेट इशांक की अदालत ने तत्कालीन अधिशासी अधिकारी व प्रधान लिपिक को दोषमुक्त करार दिया है। मामले में चार को आरोपित बनाया गया था, जिसमें से दो का पूर्व में निधन हो चुका है।
वर्ष 2011 में नगर पालिका ने एक वर्ष के लिए उत्तर प्रदेश की मुस्कान ज्योति संस्था के साथ एक अनुबंध किया। अनुबंध के तहत संस्था को घर-घर से कूड़ा उठाने के बाद उसका प्रबंधन कर उससे खाद बनाना था। इसके लिए पालिका ने संस्था को लाखों रुपये का भुगतान भी किया। जांच में टेंडर प्रक्रिया अपनाए बिना संस्था को 24.79 लाख रुपये का भुगतान किए जाने की बात भी सामने आई। इस बीच संस्था भी अनुबंध को दरकिनार कर काम छोड़ चलती बनी। मामला प्रकाश में आया तो तत्कालीन उपजिलाधिकारी पूरण सिंह राणा की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी। नवंबर 2013 में जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी गई व जनवरी 2014 में तत्कालीन उपजिलाधिकारी ने जिलाधिकारी के निर्देश पर तत्कालीन पालिकाध्यक्ष शशि नैनवाल, अधिशासी अधिकारी विजय पीएस चौहान, तत्समय कार्यरत प्रधान लिपिक/प्रभारी अधिशासी अधिकारी बालम सिंह पंवार व ललित मोहन को उत्तरदायी बताते हुए उनके विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवा दी। पुलिस ने जांच के उपरांत 20 नवंबर 2014 को आरोप पत्र न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल कर दिए। अधिवक्ता अनूप खंतवाल व अनिल खंतवाल ने बताया कि मामले में 18 जून 2019 से साक्ष्यों पर बहस शुरू हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से मामले में आठ गवाह प्रस्तुत किए। सुनवाई के दौरान तत्कालीन नगर पालिकाध्यक्ष शशि नैनवाल व प्रधान लिपिक ललित मोहन का निधन हो गया। बताया कि सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया, जिसमें जांच रिपोर्ट में दिखाए गए आरोपितों के खिलाफ आरोप सिद्ध हो पाते। जिसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट इशांक की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में विजय पीएस चौहान व बालम सिंह पंवार को दोषमुक्त करार दिया।

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