कैदियों को एक नया जीवन देना है मेरा उद्देश्य : अदिति श्रीवास्तव
कोटद्वार की बेटी ने बढ़ाया क्षेत्र का मान, उत्तर प्रदेश में जेल अधीक्षक के पद पर हुई चयनित
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : कोटद्वार की बेटी ने उत्तर प्रदेश में जेल अधीक्षक के पद पर चयनित होकर क्षेत्र के साथ ही अपने माता-पिता का नाम रोशन कर दिया है। अपर कालाबढ़ निवासी अदिति श्रीवास्तव का कहना है कि मेडिकल का फील्ड छोड़कर वह प्रशासनिक सेवा में इसलिए आई हैं, क्योंकि वह कैदियों को मानवता का पाठ पढ़ाना चाहती हैं। वह कैदियों को किसी अपराधी की तरह नहीं देखती हैं, बल्कि कैदी वह लोग हैं जिन्होंने कानून तोड़े हैं और उसकी सजा वह जेल में बंद रहकर काट रहे हैं। वह कैदियों में ऐसा बदलाव लाना चाहती हैं कि जब वह सजा काटने के बाद समाज के बीच जाएं तो अच्छे तरीके से एक नया जीवन शुरू कर सकें।
कोटद्वार के अपर कालाबढ़ निवासी 31 वर्षीय अदिति श्रीवास्तव ने दैनिक जयन्त से बातचीत में बताया कि वह एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता डॉ. कृष्णा कुमार श्रीवास्तव राजकीय डिग्री कॉलेज में प्राचार्य के पद पर रह चुके हैं। वह गोपेश्वर के पीजी कॉलेज से प्राचार्य के पद से रिटायर हुए। उनकी माता जी प्रतिभा श्रीवास्तव कोटद्वार में अधिवक्ता हैं। उन्होंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई सेंट जोजफ्स कॉनवेंट स्कूल कोटद्वार से की। इसके बाद बीडीएस से अपनी ग्रेजुएशन सीमा डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ऋषिकेश से वर्ष 2012 में कम्पलीट की। परिवार के प्रोत्साहन के चलते उन्होंने क्लीनिक में प्रेक्टिस के दौरान ही पीसीएस की तैयारी शुरू कर दी थी। वर्ष 2018 बैच के यूपी पीसीएस में उनका चयन जेल अधीक्षक के पद के लिए हुआ। लखनऊ में डॉ. संपूर्णानंद जेल ट्रैनिंग इंस्टीट्यूट में आठ महीने की ट्रैनिंग पूरी करने के बाद बीती तीन मार्च को पासिंग आउट परेड में उन्होंने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। उन्हें बरेली सेंट्रल जेल में बतौर जेल अधीक्षक तैनात किया गया है।
बंदियों की समस्याओं के निस्तारण का रहेगा प्रयास
उन्होंने बताया कि अपने नए करियर के तहत वह बंदियों की हर समस्या को गंभीरता से सुनेंगी और उनके निस्तारण का पूरा प्रयास करेंगी। उनका कहना है कि वह बंदियों को किसी अपराधी की तरह नहीं देखती हैं, बल्कि वह तो कानून तोड़ने की सजा भुगत रहे हैं। उनके भी अधिकार होते हैं, उनकी भी समस्याएं होती हैं। जिन्हें सुना जाना चाहिए और उनका निस्तारण किया जाना चाहिए, यही मानवता है।