नई दिल्ली ,। तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने अपने उत्तराधिकारी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी मृत्यु के बाद अगला दलाई लामा तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार चुना जाएगा, और इस प्रक्रिया में चीन की कोई भूमिका नहीं होगी। दलाई लामा ने यह भी बताया कि उत्तराधिकारी की पहचान और मान्यता की जिम्मेदारी उन्होंने अपने आधिकारिक ट्रस्ट ‘गादेन फोडरंग ट्रस्टÓ को सौंपी है। उन्होंने यह बयान एक आधिकारिक वक्तव्य के ज़रिए जारी किया।दलाई लामा ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी संस्था, यानी ‘दलाई लामा का संस्थानÓ, भविष्य में भी जारी रहेगा। उन्होंने 2011 में किए गए उस वादे की याद दिलाई, जब उन्होंने कहा था कि 90 वर्ष की उम्र के करीब पहुंचने पर वे तिब्बती धर्मगुरुओं और जनता से विचार-विमर्श कर तय करेंगे कि इस परंपरा को जारी रखना है या नहीं।
अब जब वे 6 जुलाई 2025 को 90 वर्ष के हो रहे हैं, उन्होंने कहा कि बीते 14 वर्षों में उन्हें तिब्बती बौद्ध नेताओं, तिब्बती संसद, केंद्र सरकार (धर्मशाला स्थित), हिमालयी क्षेत्रों, मंगोलिया, रूस और यहां तक कि तिब्बत के भीतर से भी लगातार यह अनुरोध मिला है कि यह परंपरा जारी रहनी चाहिए। इन्हीं अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए दलाई लामा ने औपचारिक रूप से घोषणा की, मैं घोषित करता हूं कि दलाई लामा की परंपरा जारी रहेगी।
दलाई लामा ने दोहराया कि अगले दलाई लामा की पहचान और मान्यता का अधिकार केवल ‘गादेन फोडरंग ट्रस्टÓ को होगा। उन्होंने बिना नाम लिए चीन के हस्तक्षेप की संभावना को खारिज किया और कहा कि कोई भी सरकार या संस्था इस प्रक्रिया में दखल नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि अगला दलाई लामा तिब्बती परंपरा के अनुसार चुना जाएगा, जिसमें तिब्बती बौद्ध परंपराओं के वरिष्ठ लामा और धर्म रक्षक शामिल होंगे।
अपनी हालिया पुस्तक ङ्कशद्बष्द्ग द्घशह्म् ह्लद्धद्ग ङ्कशद्बष्द्गद्यद्गह्यह्य (मार्च 2025) में दलाई लामा ने लिखा है कि उनका अगला जन्म (पुनर्जन्म) भारत या किसी अन्य स्वतंत्र देश में होगा, जहां तिब्बती बौद्ध धर्म स्वतंत्र रूप से फल-फूल सके।
पुनर्जन्म का उद्देश्य मेरे कार्यों को आगे बढ़ाना है। इसलिए अगला दलाई लामा स्वतंत्र दुनिया में जन्म लेगा, ताकि वह तिब्बती बौद्ध धर्म और तिब्बती जनता की आकांक्षाओं का प्रतीक बन सके।
दलाई लामा के इस बयान पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, दलाई लामा एक राजनीतिक निर्वासित हैं, जिन्हें तिब्बती लोगों का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है। उत्तराधिकारी का चयन चीन के कानून और परंपराओं के अनुसार होगा। चीन का दावा है कि 1793 में किंग वंश द्वारा शुरू की गई ‘गोल्डन अर्नÓ प्रक्रिया के तहत उत्तराधिकारी को मंजूरी देने का अधिकार चीन को है।
चीन यह संकेत देता रहा है कि दलाई लामा की मृत्यु के बाद वह खुद से एक नया (15वां) दलाई लामा घोषित कर सकता है, जिसे दुनिया मान्यता दे। लेकिन दलाई लामा पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि राजनीतिक कारणों से पैदा किए गए किसी दलाई लामा को तिब्बती लोग और बौद्ध धर्म कभी नहीं मानेंगे।
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