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नकली नोट बनाकर चलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 3गिरफ्तार

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रुड़की। भगवानपुर पुलिस ने नकली नोट बनाकर उसे बाजार में चलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से नकली नोट और नोट छपाई के उपकरण बरामद हुए हैं। यह गिरोह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बाजारों में चार लाख के नकली नोट चला चुका है। खुफिया एजेंसी भी आरोपितों से पूछताछ कर रही है। रविवार को सिविल लाइंस कोतवाली में पत्रकार वार्ता में सीओ पंकज गैरोला ने बताया कि शनिवार देर शाम भगवानपुर पुलिस को सूचना मिली कि कुछ लोग सोलानी पुल स्थित मंदिर के निकट खड़े हैं। यह लोग नकली नोट बेचने के लिए आए हैं। जिस पर भगवानपुर थाना प्रभारी पीडी भट्ट, उप निरीक्षक बृजपाल सिंह, उप निरीक्षक संत सिंह जियाल, कांस्टेबल करन कुमार व सचिन कुमार की टीम ने घेराबंदी की। पुलिस ने तीन व्यक्ति मौके से गिरफ्तार कर लिए। उनके कब्जे से एक प्रिटर और 27 हजार 900 रुपये के नकली नोट बरामद किए। इनमें सौ-सौ रुपये के 150 तथा 50-50 रुपये के 258 नकली नोट हैं। पुलिस ने पूछताछ की तो पूरा मामला सामने आ गया। सीओ ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों ने अपने नाम संजय कुमार निवासी ग्राम टकाभरी, थाना भगवानपुर, सुरेश कुमार निवासी ग्राम मिर्जापुर, ग्रंट, बिहारीगढ़, अमरीश निवासी गोकलपुर थाना कोतवाली देहात सहारनपुर बताए। सीओ ने बताया कि संजय कुमार पूर्व में भी नकली नोट छापने के मामले में पकड़ा गया था। इनके पास जो प्रिटर मिला है वह खराब हो गया था। इस प्रिटर को वह ठीक कराने के लिए जा रहे थे। सीओ ने बताया कि आरोपित करीब चार माह से अवैध कारोबार कर रहे थे। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जिन जगहों पर आरोपितों ने नकली नोट चलाए हैं उसके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
पहले भी जेल जा चुका है संजय : सीओ पंकज गैरोला ने बताया कि आरोपित संजय पहले भी नकली नोट के मामले में जेल जा चुका है। उस पर चोरी का भी एक मुकदमा है। जेल से बाहर आने के बाद वह कोई काम नहीं कर रहा था। पुलिस जेल से बाहर आने वाले अपराधियों का सत्यापन कर रही थी। इसी दौरान उस पर पुलिस को शक हुआ था। जेल से बाहर आने केबाद उसने इंटरनेट मीडिया की मदद से नकली नोट बनाना सीखा था। इसके बाद उसने प्रिटर और स्कैनर खरीद लिया।
नकली नोट छापने की दी ट्रेनिग: भगवानपुर थाना प्रभारी पीडी भट्ट ने बताया कि नकली नोट छापने के बाद संजय ने सुरेश को 17 हजार में प्रिटर बेचा था। यही नहीं नोट छापने की उसे ट्रेनिग भी दी थी। ट्रेनिग देने के एवज में संजय ने 20 हजार रुपये लिए थे। वहीं सुरेश ने भी नकली नोट छापने के बाद इस प्रिंटर को अमरीश को बेच दिया था। नकली नोट सुरेश के बाग में छापने का काम करते थे। आरोपित मजदूर तबके में नकली नोट चलाते थे, जिससे कि किसी को शक न हो।

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