नम आंखों से दी शहीद को विदाई
-गलवान झपड़ में घायल हुए हवलदार बिशन सिंह का इलाज के दौरान निधन
हल्द्वानी। ड्यूटी के दौरान 6 मई को लद्दाख के गलवान वैली में हुई हिंसक झड़प में घायल 17 कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात हवलदार बिशन सिंह (43) का चंडीगढ़ स्थित अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया। रविवार को हल्द्वानी के रानीबाग स्थित चित्रशिलाघाट में उन्हें अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान उनके अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ों लोग घाट पहुंचे। बड़े भाई जीवन सिंह और बेटा मनोज ने शहीद की चिता को मुखाग्नि दी। भारतीय सेना के 17 कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात मूल माणीधामी बंगापानी पिथौरागढ़ के रहने वाले हवलदार बिशन सिंह (43) शुक्रवार की देर रात चंडीगढ़ में निधन हो गया था। शनिवार देर रात शहीद का शहीद का पार्थिव शरीर हाल पता कमलुवागांजा में विशेष टाउनशीप कॉलोनी स्थित उनके घर लाया गया। तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन को शहीद के घर में लोगों की भीड़ जुटी रही। शहीद का पार्थिव शरीर देखते ही पत्नी सती देवी बेसुध हो गई। शहीद का बड़ा बेटा मनोज (19) और बेटी मनीषा (16) पिता को देखकर रोते रहे। पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने उन्हें ढाढस बंधाया।
सुबह 9º12 बजे शहीद की अंतिम यात्रा चित्रशिला घाट के लिए निकली। इस दौरान पीछे बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ आया। 10 बजे करीब तिकोनिया आर्मी कैंट और 17 कुमाऊं के जवान पार्थिव शरीर लेकर चित्रशिला घाट पहुंचे। शहीद के घर से घाट तक भारत माता की जय और जब तक सूरज चांद रहेगा बिशन तेरा नाम रहेगा जैसे नारे लगते रहे। घाट में सैन्य सम्मान के साथ जवानों शहीद को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। यहां पर उनके साथ चंडीगढ़ से 17 कुमाऊं के हवलदार बची सिंह, सिपाही नारायण सिंह, 6 कुमाऊं के पूर्व सैनिक गैरव सेनानी कल्याण संस्था के संरक्षक पुष्कर सिंह डसीला, पूर्व सैनिक राजेंद्र कुमार परगाई, कोषाध्यक्ष पूर्व सैनिक गोपाल सिंह रावत, पूर्व सैनिक जसपाल सिंह आदि ने शहीद को श्रद्धांजलि दी।