15 किलोमीटर के सफर में बने हैं दस से अधिक डेंजर जोन
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : गर्मी का पारा चढ़ने के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटकों की तादात बढ़ने लगती है। कोटद्वार के आसपास लैंसडौन, गुमखाल, सिलोगी, ताड़केश्वर सहित अन्य स्थानों पर भी सैकड़ों पर्यटक घूमने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन, कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य बदहाल पड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर्यटकों के समक्ष चुनौती खड़ी कर सकता है। जगह-जगह बदहाल राष्ट्रीय राजमार्ग से हादसों का अंदेशा बना हुआ है। कई स्थानों पर सड़क किनारे ढहे पुश्तों की मरम्मत तक नहीं करवाई गई है। ऐसे में कब बड़ा हादसा हो जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता।
कोटद्वार को गढ़वाल का द्वार कहा जाता है। यहीं से पर्यटक पहाड़ की यात्रा पर निकलते हैं। लेकिन, कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य पिछले दो वर्षों से बदहाल पड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर्यटकों की रफ्तार पर ब्रेक लगा रहा है। पर्यटकों की कमी से पौड़ी जिले में पहाड़ की अर्थव्यवस्था डावांडोल होती जा रही है। पिछले दो वर्षों से पर्यटकों की संख्या में आ रही गिरावट के कारण ग्रामीण का लघु उद्योग भी बंद होने की कगार में पहुंच गया है। जबकि, ग्रामीण लगातार सरकार से राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिति सुधारने की मांग उठा रहे हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्ग कोटद्वार से दुगड्डा के मध्य दस से अधिक स्थानों पर बदहाल पड़ा हुआ है। कई स्थानों पर गड्ढों के बीच डामर खोजना पड़ रहा है। तीन से अधिक स्थानों पर हाईवे का पुश्ता ढहा हुआ है। ऐसे में कब बड़ी दुर्घटना हो जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। होम स्टे संचालक सूर्या बड़थ्वाल ने कहा कि पहाड़ से मैदान को जोड़ने के लिए कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग महत्वपूर्ण है। लेकिन, वर्षा के दौरान हुई अतिवृष्टि के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग जगह-जगह बदहाल पड़ा हुआ है। इसके कारण पर्यटक पहाड़ चढ़ने से घबरा रहा है। सरकार को राष्ट्रीय राजमार्ग की व्यवस्था को बेहतर बनाना चाहिए।