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नए कृषि कानूनों पर ब्रिटिश संसद में उठी आवाज, कहा-यह भारत का आंतरिक मामला, अमेरिका भी कर चुका है मोदी सरकार का समर्थन

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लंदन, एजेंसी। ब्रिटिश संसद के निचले सदन हाउस अफ कामंस में कृषि सुधारों को भारत का घरेलू मामला बताया गया है। एक वरिष्ठ सांसद द्वारा दिया गया यह बयान दर्शाता है कि किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटिश सरकार का क्या रुख है। रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को विपक्षी लेबर पार्टी के सांसदों ने मुद्दे पर बहस की मांग की थी। इसके जवाब में सत्तापक्ष से जुड़े वरिष्ठ सांसद जैकब रीस मोग ने कहा, भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है। वह एक ऐसा देश है जिसके साथ हमारे सबसे मजबूत संबंध हैं। किसानों के आंदोलन पर ब्रिटिश सरकार बारीकी से नजर रखी है। कृषि सुधार भारत का घरेलू मामला है।
गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिका ने भी नए कृषि कानूनों पर भारत सरकार के रुख का समर्थन किया था। अमेरिका ने कहा था कि वह उन प्रयासों का स्वागत करता है जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियां निवेश के लिए आकर्षित होंगी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के इस बयान से संकेत मिला था कि बाइडन प्रशासन कृषि क्षेत्र में सुधार के भारत सरकार के कदम का समर्थन करता है। इससे निजी निवेश आकर्षित होगा और किसानों की बड़े बाजारों तक पहुंच बनेगी।
ऐसे में जब किसान आंदोलन को लेकर कुछ अंतराष्ट्रीय हस्तियों की तरफ से दुष्प्रचार करने की कोशिश की जा रही है ब्रिटेन ने भी भारत सरकार के रुख को सही ठहराया है। बीते दिनों विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बयान को उसके पूर्ण परिप्रेक्ष्य में ही देखा जाना चाहिए। आप सभी ने देखा होगा कि अमरिकी विभाग ने भारत में षि सुधार के लिए उठाये जा रहे कदमों की सही ठहराया है। उल्घ्लेखनीय है कि अमेरिका ही नहीं वरन कनाडा, अस्ट्रेलिया, ब्रिटेन एवं यूरोपीय संघ के तमाम विकसित देश काफी पहले भी भारत में अनाजों की सरकारी खरीद को लेकर अपनी नाराजगी जताते रहे हैं।

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