भारतीय संस्कृति को समझने के लिए भारतीय ज्ञान व परंपरा का होना आवश्यक
भारतीय संस्कृति, सभ्यता व वैदिक ज्ञान को संरक्षित करके रखेगी नई शिक्षा नीति
लेखक, शिक्षाविद् डा. कुलदीप गौतम
संस्कृत, संस्कृति और भारतीयता केवल शब्दमात्र नहीं, अपितु भारत की प्राचीन शिक्षा परम्परा से घनिष्ठता से जुड़े हैं। प्राचीनकाल से ही भारत अपने धार्मिक ग्रंथों, सांस्कृति और बहुभाषावाद के लिए प्रसिद्ध रहा है। भारतीय संस्कृति को समझने के लिए भारतीय ज्ञान और परंपराओं का होना आवश्यक है। इसी के तहत नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) में शिक्षा के हर स्तर पर भारतीय ज्ञान परम्परा की प्रासांगिकता को शामिल करने पर जोर दिया है।
भारतीय ज्ञान और परंपरा भारतीय संस्कृति के अनकों कालखंडों से प्राप्त अद्वितीय ज्ञान व बुद्धिमत्ता का प्रतिनिधित्व करती है। इस ज्ञान परंपरा में आधुनिक विज्ञान, प्रबंधन, ज्योतिष विधा, धर्म, त्याग सभी प्रकार के भौतिक एवं पारलौकिक अद्भुत ज्ञान का संगम है। इस का विस्तृत रूप भारतीय ग्रंथों में देखा जा सकता है। वेद, उपनिषद, ब्राह्मण, आरण्यक, रामायण, महाभारत आदि ज्ञान को मानव जीवन का सर्वोत्तम अंग मानते आए हैं। मनुष्य को ज्ञानवान बनाने का प्रयास करते आये हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020-21 वीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति है, जो भारत की परम्परा और सांस्कृतिक मूल्यों को बरकरार रखते हुए शिक्षा व्यवस्था की बात करती है। भारतीय ज्ञान और परंपरा के आलोक में तैयार किया गया पाठ्यक्रम शिक्षा व्यवस्था द्वारा भारत के समृद्धशाली सांस्कृतिक विरासत की आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजकर संरक्षित रखने का कार्य करेगी। हमारे भारतीय ज्ञान और परंपरा में आचार्य चरक, सुश्रुत, भास्कराचार्य, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, चाणकय, ब्रह्मगुप्त, पाणिनि, कात्यायन, पतंजलि नागार्जुन, माधव, गौतम, शंकराचार्य अनेकों विद्धानों का उल्लेख मिलता है। वैश्विक स्तर पर ज्ञान के विविध क्षेत्र खगोल विज्ञान, धातु विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, गणित, शल्य चिकित्सा, भवन निर्माण, सिविल इंजिनियरिंग, नौकायन, ललिलकला, योग शतरंज इत्यादि के प्रामानिकरूप सेमौलिक योगदान रख हैं। एनईपी-2020 आयुर्वेद, योग, वेद, नाट्यशास्त्र, गणित, खगोल विज्ञानादि अन्य क्षेत्रों तक फैली भारत की स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों की समृद्ध विरासत को मान्यता देता है। यह सीखने के लिए एक समय और समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हुए इन पारंपरिक प्रणालियों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली में संरक्षित बढ़ावा देने और एकीकृत करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। एनईपी-2020 कई रणनीतियों का प्रस्ताव करता है, जिसमें पाठ्य पुस्तकों और शिक्षण सामग्रियों का विकास शामिल है। जो पारंपरिक भारतीय ज्ञान को विषयों और शिक्षा के स्तरों में एकीकृत करते हैं। यह पारंपरिक ज्ञान पर शोध और प्रसार के लिए समर्पित विशेष संस्थानों और उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की भी वकालत करता है। इसके आलावा नीति पाठ्यक्रम में भारतीय भाषाओं को शामिल करने पर जोर देती है। जिससे छात्रों को उनके मूल रूप में शास्त्रीय ग्रंथों तक पहुंचने और उनसे जुड़ने में सक्षम बनाया जा सके। अत: भारतीय ज्ञान एवं विज्ञान की समृद्ध परंपरा के अंतर्गत-2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति समग्र बहुविषयक अनुशासन शिक्षा, शिक्षक-प्रशिक्षण एवं नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करती है।
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डा. कुलदीप गौतम