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प्रदूषण न रोक पाने पर एनजीटी ने उत्घ्तर प्रदेश सरकार पर लगाया 220 करोड़ का हर्जाना, कई जिलों में पाई चूक

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नई दिल्ली, एजेंसी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नदियों, नालों में प्रदूषण का उचित प्रबंधन न करने पर राज्य सरकार को 220 करोड़ रुपये हर्जाना जमा करने का निर्देश दिया है। ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार को प्रतापगढ़, रायबरेली और जौनपुर में उचित तरीके से अपशिष्ट प्रबंधन न करने के लिए राज्य सरकार को 100 करोड़ जमा करने का आदेश दिया है जबकि गोरखपुर और उसके आसपास की नदियों और नालों में 55 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) का निस्तारण न होने 120 करोड़ का हर्जाना लगाया।
यह आदेश अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने दो अलग-अलग आदेशों में दिया है। पीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए़ सेंथिल वेल और अफरोज अहमद भी शामिल थे। प्रतापगढ़, रायबरेली और जौनपुर में प्रदूषण को लेकर दाखिल एक याचिका की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि फंडिग के लिए तय समय सीमा समाप्त होने की वजह से आवश्यक कदम नहीं उठाए जा सके।
इस तरह की चूक से सार्वजनिक स्वास्थ्य और जल प्रदूषण के कारण जल जनित बीमारियां होती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और कई बार घातक भी होती हैं। पीठ ने कहा कि अधिकारी 50 प्रतिशत की सीमा तक प्रदूषण भार में कमी का दावा कर रहे हैं लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट इससे अलग है।
रिपोर्ट के अनुसार 50 एमएलडी से अधिक की सीमा तक अनुपचारित सीवेज नालियों में छोड़ा जा रहा है, जिसका मुआवजा कम से कम 100 करोड़ रुपये है। पीठ ने नौ सदस्यीय निगरानी समिति का भी गठन किया जो एक माह के भीतर बैठक करके एक्शन प्लान तैयार करेगी। इसके साथ ही छह माह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
इसी तरह रामगढ़ झील और आमी, राप्ती व रोहणी नदियों में प्रदूषण को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने एक अन्य आदेश में राज्य सरकार को 120 करोड़ रुपये की राशि जमा करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा- हम गोरखपुर में नदियों और में 55 एमएलडी सीवेज के निर्वहन के लिए 110 करोड़ रुपये की देनदारी राज्य सरकार पर निर्धारित करते हैं।श् इसके अलावा ठोस कचरे के प्रबंधन में विफलता पर 10 करोड़ रुपये हर्जाना लगाया। पीठ ने राज्य सरकार को एक महीने के भीतर संभागीय आयुक्त, गोरखपुर के नियंत्रणाधीन खाते में मुआवजा जमा करने का निर्देश दिया। इसके अलावा छह सदस्यीय संयुक्त समिति के गठन का भी निर्देश दिया जो योजना बनाकर अनुपालन कराए।

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