हवा हुए एनजीटी के नियम, खोह नदी बना रहे डंपिंग जोन

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सिद्धबली मंदिर के समीप खोह नदी के तट पर डाली जा रही गंदगी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: भले ही एनजीटी नदियों को स्वच्छ बनाने के लिए सख्त रूख अपना रही हो। लेकिन, धरातल की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। हालत यह है कि सिद्धबली मंदिर के लिए समीप खोह नदी के तट पर प्रतिदिन कूड़े का ढेर फेंका जा रहा है। ऐसे में जहां नदी दूषित हो रही है वहीं, कूड़े में बड़ी मात्रा में पड़े प्लास्टिक से जंगली जानवरों को भी खतरा बना हुआ है।
एक समय था जब खोह नदी कोटद्वार नगर और आसपास के ग्रामीणों की प्याज बुझाते थी। लेकिन, समय के साथ-साथ नलकूपों की बाढ़ ने खोह नदी से आमजन की निर्भरता को खत्म कर दिया। भविष्य को देखते हुए होना तो यह चाहिए था कि खोह नदी का संरक्षण किया जाता। लेकिन, लापरवाही के कारण आज खोह नदी अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही है। हालत यह है कि सिद्धबली मंदिर के समीप दुकान चलाने वाले व्यापारियों ने नदी के तट को डंपिंग जोन बनाना शुरू कर दिया है। नदी के तट पर जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। अधिकांश कूड़ा खोह नदी से सनेह के लिए जाने वाली सिंचाई नहर में गिर रहा है।

संरक्षण को लेकर लापरवाही
खोह नदी के संरक्षण को लेकर सिद्धबली मंदिर समिति भी बेपरवाह बनी हुई है। गंदगी के ढेर देखने के बाद भी समिति के सदस्य आंखें बंद कर देते हैं। जबकि, होना तो यह चाहिए था कि समिति नदी में कूड़ा डालने वालों को चेतावनी देती। ऐसे में यदि नदी में कूड़ा डालना बंद नहीं किया गया तो स्थिति ओर बिगड़ सकती है।

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