‘मणिपुर में शांति लाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताएं’: एनएचआरसी का केंद्र-राज्य सरकार को नोटिस
नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मणिपुर में हिंसा और वहां शांति स्थापित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी है। इस बाबत आयोग ने केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है। आयोग ने नोटिस में सभी पक्षों से अशांत राज्य में शांति लाने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में स्पष्ट रूप से बताने के लिए कहा गया है।
आयोग ने ये नोटिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव, मुख्य सचिव और मणिपुर सरकार के पुलिस महानिदेशक को जारी किया है। अधिकारियों ने बताया कि हिंसा की घटनाओं से संबंधित विभिन्न मामलों में एनएचआरसी को अपने पिछले नोटिस के जवाब में मणिपुर सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) प्राप्त हुई है।
नोटिस के जवाब में मणिपुर सरकार ने बताया है कि राज्य में हिंसा की घटनाओं के संबंध में कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें कानून और व्यवस्था मशीनरी और सुरक्षा को मजबूत करना, राहत शिविरों और शांति समिति की स्थापना, कफ्र्यू में ढील, इंटरनेट और बैंकिंग सेवाओं की बहाली, मृतकों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि, घायलों के लिए मुआवजा पैकेज और क्षतिग्रस्त घरों का पुनर्निर्माण शामिल है। इसें यह भी बताया गया है कि केंद्र ने संघर्ष के कारणों पता लगाने के लिए जांच आयोग का गठन किया है और छह एफआईआर सीबीआई को सौंप दी गई हैं। प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में राहत शिविर चल रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि चार सप्ताह के भीतर कई मामलों पर एटीआर मांगी गई है। बता दें कि मणिपुर में तीन मई से इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय और कुकी लोगों के बीच जातीय झड़पें हो रही हैं।
अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न पहलुओं को देखते हुए कहा गया है कि राज्य सरकार को यह देखने का निर्देश दिया गया है कि राहत शिविरों में स्वच्छता और अपशिष्ट निपटान की उचित सुविधा हो, पीने, खाना पकाने और धोने के लिए उचित पानी उपलब्धता हो। आयोग ने कहा कि स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को ठीक से बनाए रखा जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि दवाओं की कोई कमी न हो।
आयोग ने कहा कि उसने पिछले कुछ महीनों में मणिपुर में मानवाधिकार उल्लंघन से संबंधित हिंसा की घटनाओं के संबंध में 18 मामले दर्ज किए हैं।