पटना, एजेंसी। राजनीति में जो कहा जाए, जो किया जाए, सबका अंतिम लक्ष्य चुनाव जीतना होता है। राजनीति में हर काम का फलाफल चुनाव में ही निकलना है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए से महागठबंधन में जाकर सरकार बदलने की जनता की अदालत में पहली परीक्षा पटना जिले की मोकामा विधानसभा सीट पर होगी जो लोकसभा सीट के हिसाब से मुंगेर में आती है।
बाहुबली नेता अनंत सिंह को एके 47 रखने के केस में सजा मिलने के बाद उनकी विधायकी छिनने से मोकामा विधानसभा सीट खाली है जिस पर छह महीने के अंदर उप-चुनाव होना है। राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन बदलने के बाद यह पहला चुनाव होगा जिसमें बीजेपी की अगुवाई में एनडीए का मुकाबला आरजेडी-जेडीयू समेत सात दलों के महागठबंधन से होगा।
इस चुनाव से राज्य के मूड का सही अंदाजा लगेगा, ये कहना ज्यादती होगी क्योंकि ये सीट अनंत सिंह बतौर निर्दलीय भी जीते और बतौर आरजेडी र्केडिडेट भी। अनंत सिंह ने 2020 में आरजेडी के टिकट पर यह सीट जेडीयू र्केडिडेट राजीव लोचन को हराकर जीती थी। तब जेडीयू एनडीए के साथ था। 2015 के विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह जेडीयू के नीरज कुमार को हराकर बतौर निर्दलीय जीते थे जब जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा थी। मोटा-मोटी ये सीट अनंत सिंह की सीट है।
सीटिंग के हिसाब से देखें तो महागठबंधन में इस सीट पर आरजेडी की दावेदारी बनती है क्योंकि अनंत सिंह आखिरी चुनाव उसी के टिकट पर जीते। जेडीयू यहां लगातार चुनाव हारी है। लेकिन आरजेडी को इस जीत को बरकरार रखने के लिए अनंत सिंह की पसंद से टिकट देना होगा।
दूसरी तरफ बीजेपी है जिसके लिए ये सीट लड़ने का रास्ता खुल गया है क्योंकि अब जेडीयू उसके साथ नहीं है। मोकामा सीट पर एनडीए में लोजपा का पशुपति पारस र्केप भी दावा कर सकता है क्योंकि सीट लोजपा के कद्दावर नेता और बाहुबली सूरजभान सिंह की घरेलू सीट है। सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह इस समय नवादा से सांसद हैं। सूरजभान की पत्नी वीणा देवी मुंगेर लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी हैं जिस लोकसभा क्षेत्र के अंदर यह विधानसभा सीट आती है।
वोटगणित के हिसाब से देखें तो अनंत सिंह का पलड़ा मोकामा में बहुत भारी है। 2020 के विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह को 53 परसेंट वोट मिला जबकि जेडीयू के राजीव लोचन को मात्र 29 परसेंट। अनंत सिंह ने ये सीट 35 हजार से ज्यादा वोट के अंतर से जीती थी। अंकगणित कहता है कि मोकामा में महागठबंधन का ही पलड़ा भारी रहेगा लेकिन तभी जब अनंत सिंह उसके साथ हों। अनंत सिंह ने अगर पाला बदल लिया तो यह सीट एनडीए के खाते में भी जा सकती है।