निजी स्कूलों के बाद अब सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने भी किए छात्र-छात्रओं की जिम्मेदारी लेने से हाथ खडे़
देहरादून। प्रदेश में अगले महीने से स्कूल खोलने की तैयारियां तेज हो गई हैं, लेकिन मानसिक तौर पर इसके लिए कोई तैयार नहीं दिख रहा। ज्यादातर अभिभावक पहले ही स्कूल ना खोलने के पक्ष में हैं। उधर, निजी स्कूलों के बाद अब सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने भी छात्र-छात्रओं की जिम्मेदारी लेने से हाथ खड़े कर दिए हैं। प्रदेश में बोर्ड कक्षाओं के लिए दो नवंबर से स्कूल खोले जा रहे हैं। स्कूल खुलने से पहले शिक्षकों ने सभी शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं की कोरोना जांच करवाने की मांग उठाना शुरू कर दिया है। राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केके डिमरी का कहना है कि सरकार को अपने खर्च पर सभी का कोरोना टेस्ट करवाना चाहिए। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद स्कूल में एंट्री दी जानी चाहिए। डिमरी ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि सभी उपाय अपनाने के बाद भी संक्रमण से बचा जा सके। एक दफा कोरोना जांच निगेटिव आने के कुछ दिन के भीतर संक्रमण हो सकता है। ऐसे में स्कूलों में समय-समय पर पूर्ण जांच होनी जरूरी है। उन्होंने यह भी साफ किया कि शिक्षक केवल अपनी जिम्मेदारी पर छात्र-छात्रओं को स्कूल बुलाने के पक्ष में नहीं हैं। अभिभावकों, प्रशासन और सरकार को भी इसकी पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी। शिक्षक बोले, संक्रमण होने पर केवल स्कूल या शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं, जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।