नईदिल्ली, महाराष्ट्र के जिला अकोला के एक किसान के बेटे पवन हलवाने ने क्रिकेट में लेवल 2 की अंपायरिंग परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल करके अपने गांव और जिले का नाम रोशन किया है. ये परीक्षा जून में अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अंतर्गत आयोजित की गई थी.
पवन ने इस परीक्षा में 150 में से सर्वाधिक 147.5 अंक हासिल किए. पवन अकोला क्रिकेट क्लब के लिए क्रिकेट भी खेलते हैं. वो अकोला के छोटे से गांव सांगवी खुर्द से आते हैं. जो जिला किसानों की लगातार आत्महत्याओं के लिए जाना जाता है, और प्रकृति की मार के कारण अक्सर किसानों को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. वहीं से अकोला के खिलाड़ी ने बेहद कठिन परिस्थितियों में अंपायर परीक्षा को टॉप करके अपने परिवार को खुशी का मौका दिया है.
विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन के पवन हलवाने ने उन 26 उम्मीदवारों की सूची में सबसे आगे हैं. बीसीसीआई की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि परीक्षा पास करने वाले सभी लोगों को बीसीसीआई अंपायर पैनल में शामिल किया जाएगा. यह दूसरा मौका है जब विदर्भ के किसी व्यक्ति ने अंपायर की परीक्षा में टॉप किया है. इससे पहले नितिन पंडित 2008 की परीक्षा में ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति बने थे.
पवन की इस कामयाबी की हर जगह तारीफ हो रही है. यह अकोला जिले के लिए बड़े गर्व की बात है. उन्होंने लगातार बीस साल तक कड़ी मेहनत की और अब जाकर सफलता के शिखर पर पहुंचे. विदर्भ के अकोला जिले के लिए बहुत बड़ी बात है. इसके बाद पवन घरेलू क्रिकेट में अंपायरिंग के लिए क्वालीफाई कर जाएंगे, जिससे वो अपने परिवार के लिए आर्थिक सहारा बन जाएंगे.
बता दें कि बीसीसीआई में अंपायरों के लिए कोई निश्चित वेतन नहीं है. हालांकि, बीसीसीआई उम्र, प्रमाणन और अनुभव आदि के आधार पर अंपायरों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटता है. रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू मैचों के लिए श्रेणी ए+ और ए के अंपायरों को प्रतिदिन 40,000 रुपये और श्रेणी बी और सी के अंपायरों को प्रतिदिन 30,000 रुपये का भुगतान किया जाता है.
अगर आपका अंपायर के तौर पर अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रहता है, तो फिर आप बीसीसीआई की सिफारिश पर आईसीसी अंपायरों के पैनल में भी शामिल हो सकते हैं. जिनकी प्रति मैच फीस लाखों में होती है. अंपायर बनने के लिए जरूरी नहीं है कि आप क्रिकेट खेलें. लेकिन जरूरी है कि आपको क्रिकेट और उसके नियमों की पूरी समझ हो. इसके अलावा व्यक्ति में सहज निर्णय लेने की क्षमता, बेहतरीन संचार कौशल और शारीरिक रूप से फिट होना जरूरी है, क्योंकि अंपायर को पूरे मैच के दौरान खड़ा रहना होता है.
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