नई दिल्ली , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक (क्च्र) की डिग्री से जुड़े मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने केंद्रीय सूचना आयोग के उस सात साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय को पीएम मोदी की 1978 की डिग्री से संबंधित जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया था।
जस्टिस सचिन दत्ता की अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय की याचिका को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया। डीयू की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि किसी की निजी जानकारी को सिर्फ जिज्ञासा के आधार पर क्रञ्जढ्ढ के तहत नहीं मांगा जा सकता और यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है। अदालत ने इस दलील को अहम मानते हुए ष्टढ्ढष्ट के आदेश को खारिज कर दिया।
यह मामला 2016 का है जब नीरज नामक व्यक्ति ने क्रञ्जढ्ढ के जरिए पीएम मोदी की डिग्री की जानकारी मांगी थी। इस पर केंद्रीय सूचना आयोग (ष्टढ्ढष्ट) ने 21 दिसंबर 2016 को दिल्ली विश्वविद्यालय को 1978 में बीए पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दे दी थी। दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद जनवरी 2017 में हाईकोर्ट ने ष्टढ्ढष्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। लंबी सुनवाई के बाद इसी साल 27 फरवरी को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज अंतिम निर्णय सुनाया गया।