जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : शहर की सड़कों पर लगातार वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन, इन वाहनों के लिए कहीं भी पार्किंग की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। पूर्व में नगर निगम ने शहर में पार्किंग स्थलों को चिह्रित किया था। बकायदा इन स्थानों पर पार्किंग शुल्क भी चस्पा किए गए। लेकिन, कई माह बीत जाने के बाद भी निगम की यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई। नतीजा, शहर की सड़कों पर बेतरतीब तरीके से पार्क किए गए वाहन यातायात व्यवस्था में बाधा बन रहे हैं। साथ ही पैदल चलने वालों को भी दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है।
गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार में हर दूसरे दिन एक नया वाहन सड़क पर उतर रहा है। यही कारण है कि शहर की सड़कों पर लगातार वाहनों का दबाव बढ़ता जा रहा है। बाजार में इन वाहनों को खड़ा करने के लिए पार्किंग व्यवस्था तक उपलब्ध नहीं है। तमाम आश्वासनों के बाद भी सरकारी सिस्टम पार्किंग स्थल मुहैया नहीं करवा पा रहा। नतीजा, बाजार आने वाले अधिकांश दोपहिया व चौपहिया वाहन चालक अपने वाहनों को सड़क किनारे बेतरतीब तरीके से खड़ा कर देते हैं। सफेद पट्टी के बाहर खड़े वाहनों के कारण राहगीरों को बीच सड़क से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसे में जहां पूरे दिन सड़कों पर जाम की स्थिति बनी रहती है। वहीं, दुर्घटनाओं का भी अंदेशा बना रहता है। सबसे बुरी स्थिति सड़क किनारे सरकारी संस्थानों के बाहर बनी रहती है। त्योहारी सीजन में व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी हो जाती है। ऐसे में शहरवासी प्रशासन व नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करते रहते हैं। पूर्व सैनिक सहित अन्य सामाजिक संगठन लगातार पार्किंग व्यवस्था की मांग उठाते हुए आ रहे हैं।
यह स्थल हुए थे चिह्रित
शहरवासियों की मांग के बाद कुछ वर्ष पूर्व नगर निगम ने निजी वाहनों की पार्किंग के लिए देवी रोड पशु चिकित्सालय के समीप खाली पड़ी भूमि को चिह्रित किया था। लेकिन, यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई। इसके उपरांत जब बाजार में नगर निगम ने स्थाई अतिक्रमण को हटाया था तो सड़क किनारे पार्किंग स्थल बनाने की बात कही। लेकिन, यह योजना भी धरातल पर नहीं उतर पाई। इसके उपरांत नगर निगम ने बद्रीनाथ मार्ग स्थित प्रेक्षागृह के निचले तल के साथ ही तहसील के बाहर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे, नजीबाबाद रोड में सड़क किनारे सहित अन्य स्थलों को पार्किंग स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई। बकायदा प्रेक्षागृह के निचले तल में पार्किंग शुल्क भी चस्पा किया गया था। लेकिन, यह योजना भी केवल हवाई साबित हुई।