200 नहीं, सिर्फ 119 सीटें तय करेंगी किसकी बनेगी सरकार
जयपुर, एजेंसी। राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। भाजपा और कांग्रेस के नेता पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में हैं। फोकस है प्रदेश की जनता को अपने पाले में करके चुनाव जीतकर सत्ता हासिल करना। 2023 के चुनाव में क्या होगा ये आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन पिछले चुनावी आंकड़ों में कई तथ्य छिपे होते हैं।
ऐसा ही एक तथ्य ये है कि प्रदेश में 200 विधानसभा सीटें हैं। लेकिन, सत्ता परिवर्तन में 119 सीटों के मतदाताओं की भूमिका अहम रही है। ऐसा इसलिए है कि प्रदेश में 60 सीटें ऐसी हैं जिन्हें भाजपा का गढ़ माना जाता है, यहां से उसका हारना काफी मुश्किल रहा है। इसी तरह कांग्रेस के गढ़ वाली 21 सीटें हैं, जहां कांग्रेस उम्मीदवार को हराना चुनौती है। इसलिए ये सवाल उठ रहा है कि सिर्फ 119 सीटें तय करेंगी, प्रदेश किसकी सरकार बनेगी। आइए, अब इन सीटों के बारे में विस्तार से जानते हैं और इस सियासी सवाल के जवाब को समझते हैं।
किसी एक पार्टी को एक सीट पर लगातार छह से दो बार जीत मिली। इस आधार पर उस सीट को पार्टी का गढ़ मानते हुए 1972 से 2018 तक के 11 चुनावों में 200 विधानसभा सीटों पर जीत-हार का विश्लेषण किया। जिसमें 60 भाजपा तो 21 सीटें कांग्रेस के लिए फिक्स मानी गईं।
11 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार बाली में भाजपा को लगातार छह और पाली में पांच बार जीत मिली। नागौर, सांगानेर, रेवदर, राजसमंद, उदयपुर, लाडपुरा, झालरापाटन, खानपुर, भीलवाड़ा, राजगंजमंडी, सोजत, ब्यावर और फुलेरा में चार बार। सूरसागर, भीनमाल, कोटा साउथ, बूंदी, अजमेर नार्थ, अजमेर साउथ, बीकानेर ईस्ट, सिवाना, अलवर सिटी, मालवीय नगर, रतनगढ़, विद्याधर नगर और आसींद में तीन बार। जबकि 33 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने लगातार दो बार जीत दर्ज की।
जोधपुर की सरदारपुरा सीट से कांग्रेस को पांच बार जीत मिली। इस सीट से वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव लड़ते हैं। बाड़ी सीट पर चार बार जीत दर्ज की। इसी तरह झुंझुनू, बागीदौरा, सपोटरा, बाड़मेर, गुढ़ामालानी, फतेहपुर में कांग्रेस ने 3 बार जीत का परचम लहराया। डीग कुमेर, सांचौर, बड़ी सादड़ी, चित्तौड़गढ़, कोटपूतली, सरदारशहर समेत 13 सीटों पर कांग्रेस को लगातार दो बार जीत मिली।
आंकड़ों के अनुसार 81 सीटों पर भाजपा कांग्रेस का ‘कब्जा’ है। बाकी बची 119 सीटें प्रदेश की सरकार तय करती हैं। यहां के मतदाता पार्टी और विधायक दोनों को ही बदलते हैं। क्षेत्र के मुद्दे, जाति, चेहरा और प्रत्याशी की सक्रियता को ध्यान में रखकर वोट करते हैं।
विधानसभा चुनाव में कब क्या होगा ये अनुमान लगाना काफी मुश्किल है। मतदाता कभी भी अपना रुख बदल सकता है और किसी भी पार्टी के पाले में जा सकता है। इस चुनाव को लेकर कांग्रेस लगातार दावा कर रही है कि वह दोबारा सरकार बनाएगी। राजस्थान इतिहास बदलेगा। ऐसे में हो सकता है कि इस बार के चुनाव में कुछ अलग ही ट्रेंड देखने को मिले।