नई दिल्ली , भारत की रणनीतिक कूटनीति एक बार फिर वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बन गई है। एक ओर भारत रूस के साथ पारंपरिक मित्रता को मजबूत कर रहा है, तो दूसरी ओर यूक्रेन के साथ भी संतुलित और सहयोगी संबंधों की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी के चलते रूस और यूक्रेन—दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के इस साल भारत दौरे की संभावनाओं ने अमेरिका की बेचैनी को और बढ़ा दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर नाराजगी जाहिर करते हुए अतिरिक्त 25त्न टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। यह कदम भारत और रूस के बीच गहराते संबंधों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने अब कुल मिलाकर भारत पर 50त्न टैरिफ लगा दिया है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इसी साल के अंत में भारत दौरे पर आ सकते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने हाल ही में इसकी पुष्टि की है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और रूस के बीच ऊर्जा, रक्षा और व्यापार के क्षेत्र में सहयोग लगातार गहराता जा रहा है।
वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की भी भारत दौरे पर आ सकते हैं। भारत में यूक्रेन के राजदूत ऑलेक्जेंडर पोलिशचुक ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेलेंस्की को भारत आने का न्योता दिया है, और फिलहाल दोनों पक्ष तारीख तय करने पर काम कर रहे हैं। राजदूत ने इस यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों में ‘नई ऊंचाईÓ करार दिया है।
यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस (24 अगस्त) की पूर्व संध्या पर दिल्ली स्थित ऐतिहासिक कुतुब मीनार को यूक्रेन के राष्ट्रीय ध्वज की रोशनी में रंगा गया। यह भारत-यूक्रेन संबंधों की प्रगति का प्रतीक बनकर सामने आया है। भारत ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को लेकर हमेशा कूटनीतिक संतुलन बनाए रखा है। जहां भारत रूस से रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग करता रहा है, वहीं यूक्रेन को मानवीय सहायता और राजनीतिक समर्थन भी दिया गया है।