श्री सिद्धबली महोत्सव के दूसरे दिन बोले जगदगुरु राजराजेश्वर महाराज
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : श्री सिद्धबली महोत्सव के दूसरे दिन जगदगुरु राज राजेश्वर महाराज ने कहा कि दुनिया में सबसे बड़ा सनातन धर्म है। कहा कि धर्म से बड़ा जीवन में कुछ भी नहीं है। इसलिए हमें अपने धर्म की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। कहा कि मनुष्य का जीवन भगवान के नाम का गुणगान करने के लिए मिला है। उन्होंने अभिभावकों को अपने बच्चों को भी बेहतर संस्कार देने की अपील की।

शनिवार को श्री सिद्धबली बाबा वार्षिक अनुष्ठान के दूसरे आयोजित सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ जगदगुरु राज राजेश्वर महाराज ने किया। उन्होंने कहा कि आज धर्म के नाम पर तरह-तरह की बाते फैलाई जा रही हैं। लेकिन, सच यह है कि सनातन धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है। कहा कि जो धर्म से हीन है वह पशु के समान है। मानव शरीर केवल खाने-पीने के लिए नहीं मिला, बल्कि इसका असल उद्देश्य भगवत नाम का गुणगान करना है। कहा कि हमें भगवान के नाम का गुणगान बेहतर स्वर के साथ करना चाहिए। कहा कि जब हमारा आचरण बेहतर होगा तभी हम बेहतर समाज की स्थापना करेंगे। उन्होंने लोगों से धर्म के बताएं मार्ग पर चलने की भी अपील की। कहा कि हमें देश में राम का राज स्थापित करना है तभी देश को भय, भूख व भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलेगी। स्वामी ललितानंद महाराज ने कहा कि कोटद्वार भगवान सिद्धबली की भूमि है। इसलिए यहां आने से पहले हर व्यक्ति को अपना घमंड त्यागना होगा। उन्होंने श्रद्धालुओं को श्री सिद्धबली मंदिर के महात्म्य के बारे में बताया। महंत दिलीप सिंह रावत ने कहा कि सिद्धबली बाबा की अपने भक्तों पर विशेष कृपा होती है। यहां आने वाले हर भक्त की कामना भगवान पूरी करते हैं। इस मौके पर मंदिर समिति के अध्यक्ष डा. जेपी ध्यानी, मंदिर समिति के संरक्षक अनिल कंसल, महासचिव विवेक अग्रवाल, कोषाध्यक्ष उमेश त्रिपाठी, सुमन कोटनाला, प्रमोद रावत आदि मौजूद थे
यज्ञ में डाली आहूतियां
श्री सिद्धबली महोत्सव के दूसरे दिन भक्तों ने एकादशीय कुंडीय यज्ञ में आहुतियां डालकर अपने परिवार के लिए सुख शांति की कामना की। पूजन के लिए सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई थी। वहीं, मंदिर में बाबा के दर्शन के लिए भी सैकड़ों भक्त पहुंचे हुए थे। मंदिर में भक्तों के लिए भंडारें का भी आयोजन किया गया।
मेले में कल
पिंडी महाभिषेक : प्रात: पांच बजे
एकादशीय कुंडीय यज्ञ का समापन : प्रात: दस बजे
गढ़वाली जागर : प्रात: साढ़े दस बजे
सवामन रोट प्रसाद : पूर्वाह्न 11.30 बजे
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