अब 17 मार्च तक हिरासत में सिसोदिया
नई दिल्ली, एजेंसी। अदालत ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के पूर्व उप प्रमुख मनीष सिसोदिया को 17 मार्च तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया। कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के संबंध में सिसोदिया के खिलाफ दर्ज मनी लन्ड्रिंग मामला दर्ज किया गया है।
विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल के समक्ष ईडी ने सिसोदिया की 10 दिनों की हिरासत की मांग की थी। ईडी ने सिसोदिया से तिहाड़ जेल में कई घंटे तक पूछताछ के बाद गुरुवार शाम को उन्हें गिरफ्तार कर लिया। ईडी दिल्ली एक्साइज पलिसी मामले में मनी लन्ड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा कि आबकारी नीति में बदलाव दक्षिण भारत के एक समूह को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। ईडी के वकील जोहेब हुसैन ने कहा साउथ ग्रुप को सक्षम बनाने के लिए सभी बदलाव किए गए हैं। पया देखें कि किस तरह से नीति तैयार की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुछ निजी संस्थाओं को भारी लाभ मिले। हुसैन ने यह भी कहा कि सिसोदिया का यह तर्क कि नीति में बदलाव सार्वजनिक प्रतिक्रिया के जवाब में किए गए थे सही नहीं था।
यह प्रस्तुत किया गया था 12 प्रतिशत पर लाभ मार्जिन तय करने के लिए जनता या हितधारकों द्वारा कोई सुझाव नहीं दिया गया था। इसकी पुष्टि आबकारी विभाग द्वारा की गई है।
हुसैन ने इंडोस्पिरिट्स नामक कंपनी को एल1 लाइसेंस सुनिश्चित करने में सिसोदिया की कथित भूमिका का भी जिक्र किया। सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दयान ष्णन ने कहा कि दोषपूर्ण नीति किसी को फंसाने का आधार नहीं हो सकती।
सिसोदिया को इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी को शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया था और वह उस मामले में पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं। वह छह मार्च तक सीबीआई की हिरासत में रहे। उसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
आरोप है कि सिसोदिया और आप के अन्य सदस्यों ने रिश्वत के बदले कुछ व्यापारियों को शराब का लाइसेंस देने के लिए मिली भगत की। यह आरोप लगाया गया है कि उत्पाद शुल्क नीति में बदलाव किया गया और लाभ मार्जिन को इस तरह से बदला गया जिससे कुछ व्यापारियों को लाभ हुआ और इसके बदले रिश्वत प्राप्त हुई।
दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना द्वारा दिल्ली के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश करने के बाद कथित घोटाले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई ने मामले दर्ज किए। रिपोर्ट में दावा किया गया कि उपमुख्यमंत्री ने वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया और एक ऐसी नीति अधिसूचित की जिसके महत्वपूर्ण वित्तीय प्रभाव है।
सिसोदिया ने तर्क रखा है कि नीति और उसमें किए गए बदलावों को एलजी ने मंजूरी दी थी और सीबीआई अब एक चुनी हुई सरकार के नीतिगत फैसलों पर काम कर रही है।