अब उपचुनावों का संघर्ष
उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीटों पर शानदार जीत हासिल करने के बाद अब राज्य में भाजपा की नजर मंगलौर एवं बद्रीनाथ विधानसभा उप चुनावों पर है। भाजपा के लिए यह सीट बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दोनों ही सीटें अब तक बीजेपी के खाते में नहीं थी। लोकसभा चुनावों के परिणाम से उत्साहित भाजपा नेता इन दोनों सीटों पर इस बार अपनी जीत सुनिश्चित मान रही है लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है। यदि बीजेपी इन दोनों सीटों पर जीत हासिल करती है तो उत्तराखंड विधानसभा में उसका संख्या बल 47 से 49 हो जाएगा, हालांकि कांग्रेस भी अपनी बद्रीनाथ सीट को बचाने का भरपूर प्रयास करेगी। हरिद के तहत मंगलोर विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस की नजर रहेगी। इधर उम्मीदवारों के चयन को लेकर बीजेपी-कांग्रेस ने बद्रीनाथ विधानसभा और मंगलोर विधानसभा को लेकर मंथन शुरू कर दिया है। अब तक बद्रीनाथ विधानसभा सीट कांग्रेस के पास थी। यहां से 2022 के विधानसभा चुनाव में राजेंद्र भंडारी ने चुनाव जीता था, मोदी लहर के बावजूद भाजपा को इस सीट पर सामना करना पड़ा था। इधर उत्तराखंड में भाजपा की सदस्यता को लेकर शुरू हुई होड़ में कांग्रेस नेता राजेंद्र भंडारी ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। हालांकि जिन मंसूबों को लेकर राजेंद्र भंडारी ने भाजपा का दामन थामा था उनका प्रयास सफल नहीं रहा, और भाजपा हाई कमान ने पौड़ी लोकसभा का टिकट अनिल बलूनी को दे दिया जो विजय भी हुए। राजेंद्र भंडारी द्वारा इस्तीफा देने के कारण यह सीट खाली हो गई। इसी तरह हरिद्वार जनपद की मंगलौर सीट भी 2022 में भारतीय जनता पार्टी हार गई थी और यहां से बसपा के सरबत करीम अंसारी ने जीत हासिल की। उनके निधन के बाद मंगलोर विधानसभा सीट खाली हुई। इस बार दोनों ही सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से दोनों ही विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है उससे भाजपा उत्साहित है। बात करें पूर्व में हुए उपचुनावों की तो चंपावत एवम बागेश्वर के उपचुनाव में भी बीजेपी ने जीत हासिल की है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भले ही दूसरे कुछ राज्यों में अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन उत्तराखंड में अभी कांग्रेस को काफी मेहनत की जरूरत है। यहां कांग्रेस के लिए अपनी बद्रीनाथ सीट बचाने की चुनौती है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी इन दोनों ही सीटों को अपने खाते में जोड़ने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी। जल्द ही इन दोनों सीटों पर चुनावी सरगर्मियां नजर आयेंगी, देखना सिर्फ यह है की क्या भाजपा का कुनबा बढ़ेगा या फिर कांग्रेस दोनों सीटों पर अपना परचम लहराएगी।