उत्तराखंड

बचन लाल की किताब पर एनएसयूआई ने उठाए सवाल

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बागेश्वर। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्रो़ डा़बचन लाल की नई किताब रीतिकालीन काव्य पर एनएसयूआइ ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तक में तमाम त्रुटियां हैं। जिसे पाठ्यक्रम में लागू नहीं किया जा सकता है। हिंदी के साथ मजाक है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो वह उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। शुक्रवार को एनएसयूआई ने विश्वविद्यालय के कुलपति को संबोधित ज्ञापन बीडी पांडे र्केपस प्रभारी को सौंपा। कहा कि रीतिकालीन काव्य पुस्तक विश्वविद्यालय के तृतीय सेमेस्टर हिंदी साहित्य प्रथम प्रशन पत्र के लिए स्वीत है। ऐसा पुस्तक में लिखा गया है। कहा कि यदि पुस्तक विश्वविद्यालय ने स्वीत की है तो यह हिंदी के विद्यार्थियों का दुर्भाग्य है। पुस्तक में इतनी अशुद्घियां हैं कि गिन पाना मुश्किल है। छात्र अगर असाइनमेंट जमा करने जाते हैं, तो कई गलतियां बताकर उन्हें जलील किया जाता है। जब प्रोफेसर वह भी हिंदी के अपनी पुस्तक में इतनी गलतियां करें, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। जिस पुस्तक को पढ़कर विद्यार्थी को सेमेस्टर पास करना है, उसका भविष्य क्या होगा। एक प्रोफेसर की ऐसी गल्तियों के लिए क्या विश्वविद्यालय उत्तरदायी नहीं है। क्या विश्वविद्यालय कुलपति को भान है कि किस प्रकार की पुस्तकों की स्वीति दी जा रही है। यह छात्रों के भविष्य के प्रति खिलवाड़ है। उन्होंने अशुद्घितयों से युक्त पुस्तक को विश्वविद्यालय मान्यता देता है तो आंदोलन किया जाएगा। इस दौरान एनएसयूआइ के जिलाध्यक्ष कमलेश गढ़िया, प्रदेश सचिव प्रकाश वाछमी, पंकज कुमार, सौरभ कुमार, आशा नेगी, बसंत गोस्वामी, ललित कुमार आदि उपस्थित थे।

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