लाखों की लागत से नगर निगम ने लगवाई थी स्ट्रीट लाइट
शिकायत के बाद भी समय पर ठीक नहीं हो पा रही स्ट्रीट लाइट
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : नगर निगम क्षेत्र में लाखों की लागत से लगाई गई स्ट्रीट लाइट धोखा दे रही हैं। हालत यह है कि ठीक करने के चंद दिन बाद ही यह लाइट दोबारा खराब हो जाती है। ऐसे में सबसे अधिक खतरा जंगल से सटे इलाकों में बना रहता है। शहरवासी कई बार नगर निगम से लाइट के बेहतर मरम्मत की मांग भी उठा चुके हैं। ऐसे में लाखों की लागत से लगाई गई स्ट्रीट लाइट की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
करीब चार वर्ष पूर्व नगर निगम की ओर से पचास लाख की लागत से वार्डो में दो हजार से अधिक स्ट्रीट लाइट लगवाई गई थी। लाइट लगने के कुछ दिन वार्डों में खूब उजाला छाया रहा। लेकिन, धीरे-धीरे इन लाइटों ने धोखा देना शुरू कर दिया। वार्डवासियों ने आवाज उठाई तो निगम ने लाइटों की मरम्मत का कार्य प्रारंभ किया गया। लेकिन, लाइटों की स्थिति यह है कि मरम्मत के बाद दो-चार दिन जल फिर खराब हो जा रही हैं। यही नहीं, कई लाइटें तो दिन के उजाले में भी जल रही हैं। वार्डवासियों ने बताया कि लगातार शिकायत के बाद भी कई स्थानों पर लाइट की मरम्मत नहीं करवाई जा रही है। वहीं, कई स्थानों पर लाइट मरम्मत के दूसरे दिन ही खराब हो जाती है। उसे देख स्ट्रीट लाइट में बड़े घोटाले की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
कहीं दिन में भी उजाला
नगर निगम की स्ट्रीट लाइट कहीं तो जल ही नहीं रही और कहीं दिन में भी जल रही है। अधिकांश मोहल्लों में तो लाइट का प्रकाश भी कम हो गया है। चंद घंटे जलने के बाद उसका प्रकाश बंद हो जाता है।
जंगल से सटे इलाकों में खतरा
लाइट खराब होने से सबसे अधिक परेशानी लालपानी, रामपुर, सनेह, ध्रुवपुर, ग्रास्टनगंज, गिवईस्रोत, सिगड्डी, झंडीचौड़ क्षेत्र में बनी हुई है। दरअसल, इन क्षेत्रों का अधिकांश हिस्सा जंगल से सटा है और यहां हर समय जंगली जानवरों की धमक बनी रहती है। बावजूद इसके नगर निगम समस्या को लेकर लापरवाह बना हुआ है। यही नहीं वार्ड में कई स्थानों पर आस-पास दो-तीन लाइटें लगी हुई हैं, जबकि जिन जगहों पर सबसे अधिक अंधेरा है, वहां पर लाइट नहीं लगाई गई हैं। नगर आयुक्त वैभव गुप्ता ने बताया कि जिस जगह से भी लाइटों के खराब होने की जानकारी मिलती है, निगम की टीम मौके पर पहुंचे लाइट बदल देती है। प्रयास यही होता है कि खराब लाइट के स्थान पर नई लाइटें लगाई जाएं।