अफसरों ने जुटाई मानव-वन्य जीव संघर्ष को लेकर जानकारी
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : वन विभाग के अधिकारियों ने गांव-गांव जाकर ग्रामीणों की समस्याएं सुन रहे हैं। इसी के साथ ही मानव-वन्य जीव संघर्ष को लेकर भी जानकारी जुटाई जा रही है। इस दौरान ग्रामीणों ने अफसरों को समस्याएं गिनवाईं। फॉरेस्ट अफसरों ने उठाएं जा रहे कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसी के साथ वन्य जीवों से कैसे कम से कम नुकसान हो, इसकी भी जानकारी दी जा रही है। अफसरों ने ग्रामीणों से पूछा है कि कैसे वन्य जीवों से उन्हें खतरा होता है।
गढ़वाल वन प्रभाग के जो-जो इलाकें वन्य जीवों के हमलों को लेकर संवेदनशील है, वहां अफसर इस तरह के जनजागरूकता कार्यक्रमों को आयोजित कर रहे हैं। ग्रामीण आए दिन वन विभाग से वन्य जीवों के बढ़ते खतरों से निजात दिलाने की गुहार लगाते रहते हैं। वन संरक्षक गढ़वाल पंकज कुमार से लेकर डीएफओ गढ़वाल स्वपनिल अनिरुद्ध ने गांवों में जाकर गोष्ठियां आयोजित की है। साथ ही ग्रामीणों से भी पूरी जानकारी जुटाई है। इसी के साथ ही बताया गया कि गढ़वाल प्रभाग में ही अभी तक दो हजार से अधिक बंदरों को पकड़ा गया है। जिन जगहों पर बंदरों के आंतक की ज्यादा शिकायतें थी वहां टीम भेजकर उन्हें पकड़ा गया। सीएफ पंकज कुमार ने पैठाणी रेंज के रोखड़ गांव में तो डीएफओ गढ़वाल ने कुटकंडई व गहड आदि गांवों में जाकर ग्रामीणों की समस्याएं भी सुनी और उन्हें बताया कि गुलदार, भालू आदि कैसे और कब हमलावर हो जाते है। बताया गया कि यदि कोई भी जानवर जब अपना शिकार करने में असमर्थ हो जाता है, तो वह तभी ही आसान शिकार करता है और इस दौरान वह लोगों , खासकर बच्चों पर हमला कर देता है। अफसरों ने कहा गुलदार से लेकर भालू और अन्य कोइ भी जानवर यदि बार-बार एक ही जगह, या गांव में आ रहा हो तो इसकी सूचना तत्काल देनी चाहिए। साथ ही यह भी देखना चाहिए कि कहीं वह किसी वजह से घायल तो नहीं है, या फिर काफी बूढ़ा हो तो ऐसी हालत में वह वन्य जीव खतरा है और फिर उसे पकड़ना भी जरूरी हो जाता है। बताया गया कि ग्रामीण ऐसे मामलों में देर न करे और इसकी सूचना संबंधित रेंज को दे।