पेट्रोल-डीजल के स्थिर दाम से नुकसान में तेल कंपनियां! सरकार से राहत की मांग

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नई दिल्ली, एजेंसी। लागत बढ़ने के बावजूद ईंधन के दाम लगभग दो महीने से स्थिर होने के साथ पेट्रोलियम कंपनियों ने नुकसान (अंडर-रिकवरी) का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है। पेट्रोल के मामले में यह नुकसान 17़1 रुपये प्रति लीटर, जबकि डीजल पर 20़4 रुपये लीटर पहुंच गया है।
पेट्रोलियम और प्रातिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि खुदरा ईंधन बेचने वाली कंपनियों ने सरकार से इस मामले में संपर्क कर राहत मांगी है। हालांकि, पुरी ने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया कि पेट्रोलियम कंपनियां किस प्रकार की राहत की मांग कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कीमत तय करने के बारे में कंपनियों को फैसला करना है।
हरदीप पुरी ने इस रिपोर्ट पर कुछ भी कहने से मना कर दिया कि निजी पेट्रोलियम रिफाइनरी कंपनियां रूस से सस्ती दर पर कच्चा तेल आयात कर तथा तैयार पेट्रोलियम उत्पाद अमेरिका को निर्यात कर अच्छा-खासा मुनाफा कमा रही हैं। मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा के दाम में तेजी से तेल एवं गैस कंपनियों के अत्यधिक लाभ पर कर लगाने के बारे में निर्णय के लिये वित्त मंत्रालय उपयुक्त प्राधिकरण है।
क्या है गणितरू घरेलू पेट्रोल पंपों पर ईंधन को 85 डलर प्रति बैरल कच्चा तेल के मानक के आधार पर बेचा जा रहा है। जबकि ब्रेंट क्रूड फिलहाल 113 डलर प्रति बैरल पर है। इससे लागत और बिक्री मूल्य में अंतर है। जिससे कंपनियों को नुकसान हो रहा है। दो जून की स्थिति के अनुसार उद्योग को पेट्रोल पर प्रति लीटर 17़1 रुपये तथा डीजल पर 20़4 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा था।
बता दें कि तेल के दाम में तेजी के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन अयल करपोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम करपोरेशन लि़ (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम करपोरेशन लि़ (बीपीसीएल) अप्रैल से ईंधन के दाम नहीं बढ़ाए हैं। यह सिलसिला पिछले 57 दिन से चल रहा है।

 

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