पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पूछा- ऐसे किसानों को जेल क्यों नहीं भेजती सरकार?

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नईदिल्ली, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों को लेकर कहा कि सरकार इन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं करती। कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने वाले कुछ किसानों को जेल भेजने से दूसरों को सबक मिलेगा और ऐसी आदत पर लगाम लगेगी। कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों और राज्यों से पूछा कि वे सर्दियों से पहले वायु प्रदूषण रोकने के लिए क्या उपाय करेंगे और 3 हफ्ते के भीतर रिपोर्ट मांगी है।
कोर्ट ने राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों को कड़ी फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, राज्य सरकार योजनाएं क्यों नहीं बनाती? अगर पर्यावरण की रक्षा करने का आपका सच्चा इरादा है तो फिर आप कार्रवाई करने से क्यों कतरा रहे हैं। कोर्ट ने राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिक्त पदों को 3 महीने में भरने का भी आदेश दिया है।
कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों पर भी सख्त नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा, सिर्फ जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा, किसानों को जवाबदेह बनाना जरूरी है। पराली जलाने वाले किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सिस्टम के लाभ से बाहर रखा जाना चाहिए। अगर कोई किसान कानून तोड़ते हुए पराली जलाता है, तो उसे आर्थिक रूप से भी दंडित किया जाना जरूरी है। सिर्फ जुर्माना भरना या चेतावनी देना पर्याप्त नहीं होगा।
कोर्ट ने पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि उनके पीसीबी में पद खाली क्यों हैं। कोर्ट ने कहा, इन रिक्तियों ने पीसीबी को दंतहीन बना दिया है, जो प्रदूषण नियंत्रण में असमर्थ हैं। कोर्ट ने मुख्यमंत्रियों को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर रिक्तियां भरने की समयबद्ध योजना पेश करने का आदेश दिया है। पंजाब सरकार के वकील ने कहा, पिछले कुछ सालों में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है। इस साल भी बहुत कुछ हासिल होगा।
कोर्ट ने कहा, किसान हमारे लिए खास हैं, क्योंकि वही हमें अन्न देते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे कानून तोड़ें। कोर्ट ने सरकारों को आदेश दिया कि वे यह सुनिश्चित करें कि किसानों को पराली प्रबंधन की मशीनरी दी जाए और उनको बेहतर विकल्प दिए जाएं। कोर्ट ने किसानों पर सख्त निर्देश के साथ ये भी कहा कि किसानों को केवल खलनायक के रूप में पेश करना गलत है और उनका पक्ष भी सुना जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि 2018 से अब तक कई आदेश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन समस्या वैसी की वैसी ही है। कोर्ट ने ये भी कहा कि पराली का इस्तेमाल बायो ईंधन के तौर पर किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने अखबारों की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि यह प्रक्रिया लंबी नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने सबंधित पक्षों को फटकार लगता हुए कहा कि हर साल सर्दियों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है।

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