रूस से क्रूड आयल खरीदने पर भारत अडिग, नसीहत देने वालों से कहा- तेल की खरीद पर ना हो राजनीति
नई दिल्ली, एजेंसी। रूस से क्रूड खरीदने की तैयारी पर अमेरिका की तरफ से हो रहे परोक्ष इशारों पर भारत ने दो टूक कहा है कि क्रूड की खरीद पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। भारत का यह रुख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले तीन दिनो में भारत की चार कंपनियां रूस से क्रूड खरीदने का समझौता कर चुकी हैं। दूसरी तरफ अमेरिकी सरकार ने इसका विरोध सीधे तौर पर नहीं किया है लेकिन राष्ट्रपति हाउस और विदेश मंत्रालय से बार बार भारत को यह याद दिलाया जा रहा है कि उसे यूक्रेन पर आक्रमण करने वाले देश के साथ खड़ा नहीं होना चाहिए।
भारत का स्पष्ट तौर पर मानना है कि क्रूड आयात उसकी आर्थिक व रणनीतिक संप्रभुता के लिए बेहद जरूरी है और इस बारे में वह किसी भी दूसरे देश के हिसाब से अपनी रणनीति नहीं बनाएगा। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने अमेरिका को यह भी याद दिलाया है कि भारत उससे भी बड़े पैमाने पर क्रूड की खरीद कर रहा है। कुछ वर्ष पहले तक भारत अमेरिका से बिल्कुल भी क्रूड नहीं खरीदता था। सरकारी आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2021 में भारत ने अपनी कुल जरूरत का 7़3 फीसद क्रूड अमेरिका से खरीदा था जो वर्ष 2022 में बढ़ कर कुल जरूरत का 11 फीसद होने वाला है। दूसरी तरफ देश की कुल जरूरत का सिर्फ एक फीसद ही रूस से खरीदा जाता है।
अब यूक्रेन पर अमेरिका व पश्चिमी देशों के रवैये के मद्देनजर रूस ने दूसरे देशों के मुकाबले तकरीबन 25 फीसद सस्ता क्रूड भारत को देना शुरु किया है। ऐसे में इस वर्ष भारत ज्यादा मात्रा में रूस से तेल खरीदने की स्थिति में है। हालांकि इसके बावजूद अमेरिका के मुकाबले रूस से खरीदे गये क्रूड की मात्रा कम ही रहेगी। सूत्रों का कहना है कि रूस से भारत ने कई वजहों से अभी तक ज्यादा तेल खरीदने में रुचि नहीं दिखाई थी। विगत कुछ वर्षों में जो थोड़े बहुत समझौते हुए हैं वो कंपनियों के स्तर पर ही हुए हैं, सरकारी स्तर पर कोई समझौता नहीं हुआ है।
दूसरी तरफ जो देश रूस के खिलाफ खड़े हैं वो भी उससे क्रूड व गैस खरीद रहे हैं। रूस के कुल गैस निर्यात का 75 फीसद जर्मनी, फ्रांस, इटली जैसे देशों को होता है। नीदरलैंड, इटली, पोलैंड, फिनलैंड, रोमानिया रूस के सबसे बड़े क्रूड खरीददार देश हैं। पश्चिमी देशों ने रूस पर पाबंदी लगाई है लेकिन रूस से तेल व गैस खरीद पर नहीं। असलियत में रूस के जो बैंक तेल व गैस खरीद को सहूलियत देते हैं उन पर स्विफ्ट बैंकिंग (अंतरराष्ट्रीय लेन देन को पूरा करने वाली तकनीकी व्यवस्था) में बना कर रखा गया है। ऐसे में जो देश ऊर्जा के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं और जो अभी तक रूस से तेल व गैस खरीद रहे हैं वो भारत को ज्ञान नहीं दें।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत अपनी कुल जरूरत का 85 फीसद कच्चा तेल आयात करता है। भारतीय तेल कंपनियां रोजाना 50 लाख टन क्रूड आयात करने का समझौता करती हैं। वर्ष 2021 में सबसे ज्यादा 21 फीसद क्रूड ईराक से, 18 फीसद सऊदी अरब से किया था। पहले ईरान भी एक बड़ा आपूर्तिकर्ता देश था लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा है। असलियत में वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक माहौल जिस तरह से बिगड़ रहे हैं उसे देखते हुए भारत के लिए अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। ईरान व वेनेजुएला से तेल खरीदना बंद होने से भारत को पहले ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यूक्रेन के हालात के बाद क्रूड जिस तरह से महंगा हुआ है उसे देखते हुए भी भारत पर काफी आर्थिक दबाव बढ़ रहा है। सनद रहे कि पिछले तीन-चार दिनों के भीतर ही भारत की कई कंपनियों ने रूस से तेल खरीदने का समझौता किया है।