नईदिल्ली , दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए या इसे अहंकार का मामला नहीं बनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि किसानों को दोषी ठहराने के बजाय उन्हें संवेदनशील बनाने और जरूरी मशीनरी से लैस करने की जरूरत है। कोर्ट ने ये भी कहा कि हममें से कोई भी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठा रह सकता।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा, दिल्ली में प्रदूषण मामले को आमतौर पर अक्टूबर में सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है। हम इसे नियमित रूप से उठाएंगे। वायु गुणवत्ता में सुधार सिर्फ इसलिए देखा गया क्योंकि इस मद पर सुनवाई हुई थी। उन्होंने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और केंद्र सरकार से कहा, हममें से कोई भी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकता। हम यह नहीं मान सकते कि इस समस्या का कोई समाधान नहीं है।
कोर्ट ने कहा, पराली जलाना अकेला कारण नहीं है। कोविड के समय भी पराली जलाई जा रही थी, लेकिन तब आसमान बिल्कुल नीला और साफ था। लोग दिल्ली में रहते हुए भी आसमान में बगैर किसी प्रदूषण के तारे तक देख पाते थे। पराली जलाना तो प्रदूषण का एक कारण है। ये किसी के लिए राजनीतिक और अहम का कारण नहीं बनना चाहिए। किसान अगर पराली जला रहा है तो इसकी एक आर्थिक वजह है।
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