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ऑनलाइन कोर्स परंपरागत शिक्षण से कम खर्चीले

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संवाददाता, नई टिहरी। राजकीय महाविद्यालय पोखरी में ऑनलाइन शिक्षण पद्धति, उपलब्धियां, समस्याएं और संभावनाएं विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण अब समय की मांग है। नये तरीके के शिक्षण कार्य को हमें अपनी आदतों में शामिल करना होगा। इसमें जो कमियां हैं उनको दूर किया जाना चाहिए। वेबिनार के मुख्य अतिथि पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. एनपी माहेश्वरी ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण कोर्स परंपरागत कोर्स की अपेक्षा कम खर्चीले व अधिक विकल्प की सुविधा से युक्त होते हैं। लेकिन, कोर्स डिजाइन करते समय कंटेंट सलेक्शन, कंटेंट मैनेजमेंट, कनेक्टिविटी और कैपेसिटी बिल्डिग का ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि इसमें जो दिक्कतें हैं उन्हें दूर किया जाना चाहिए। मुख्य वक्ता चमन लाल डिग्री कॉलेज लंढौरा के डॉ. सुशील कुमार ने कहा कि आने वाला समय ऑनलाइन टीचिग का है। इसमें अन्य कई तकनीकी विधाओं का समावेश होगा। उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर ऑनलाइन शिक्षण के लिए जो सामग्री उपलब्ध है वह अंग्रेजी में अधिक है। इसलिए इस पर विचार किया जाना चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर नीलम राठी ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण लॉकडाउन के समय एक मजबूरी थी। लेकिन, यह परंपरागत शिक्षा का विकल्प नहीं हो सकता है। उन्होंने ऑनलाइन शिक्षण के लिए कई तरह के उपयोगी एप के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर वेबिनार की संयोजक व महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. सुनीता श्रीवास्तव ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर जो जानकारी सामने आई है उसका छात्रहित में उपयोग होना चाहिए। मौके पर डॉ. एनके सिंह, डॉ. विवेकानंद भट्ट, डॉ. मुकेश कुमार, डॉ. वंदना, सुरेंद्र सेमवाल, नरेंद्र मिश्रा आदि मौजूद थे।

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