राहुल गांधी को अल्टीमेटम देने पर विपक्ष सीईसी पर आक्रामक

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-कहा-पद की गरिमा बनाए रखें
नई दिल्ली, भारत चुनाव आयोग ने वोट चोरी के आरोप पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को अल्टीमेटम दिया है. इसको लेकर विपक्ष आक्रामक हो गया है. चुनाव आयोग ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को निर्देश दिया कि वे या तो सात दिनों के भीतर अपने आरोपों के समर्थन में सबूतों के साथ हलफनामा दाखिल करें या सार्वजनिक रूप से पूरे देश से माफी मांगें. आयोग ने कहा कि हलफनामे के अभाव में ऐसे सभी आरोप झूठे माने जाएंगे.
सत्तारूढ़ भाजपा ने चुनाव आयोग के इस कदम का स्वागत किया, जबकि इंडिया ब्लॉक ने चुनाव आयोग पर असहमति को दबाने के लिए राजनीतिक हथियार के रूप में काम करने का आरोप लगाया है. विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया कि राहुल गांधी माफी नहीं मांगेंगे. उनका तर्क था कि उन्होंने सच कहा है और कोई गलत काम नहीं किया है.
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का पुरजोर बचाव किया. उन्होंने कहा, मैं ज्ञानेश कुमार (मुख्य चुनाव आयुक्त) से कहना चाहूंगा कि एक संवैधानिक पद पर आसीन मुख्य चुनाव आयुक्त होने के नाते, उन्हें अपने पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए. जिस तरह से उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, उसमें वोट चोरी शब्द बहुत हल्का लगता है. अगर नागरिक अपने अधिकारों का प्रयोग ही नहीं कर पाएंगे, तो उनकी रक्षा कौन करेगा? मैं उनसे जिम्मेदारी से काम लेने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता हूं कि ऐसा कुछ न हो जिससे लोगों का उन पर से विश्वास उठ जाए.
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, विपक्ष नेता राहुल गांधी माफी मांगें? उन्हें माफी क्यों मांगनी चाहिए? राहुल गांधी माफी नहीं मांगेंगे. उन्होंने जो कुछ भी कहा है, वह पूरी हिम्मत और दृढ़ता के साथ कहा है.
उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग विपक्ष द्वारा उठाए गए मूल मुद्दों का समाधान करने में विफल रहा है. मसूद ने कहा, उन्होंने उस सवाल पर भी बात नहीं की जिसने पूरे देश में हंगामा मचा रखा है. उन्होंने इसका जिक्र तक नहीं किया. उन्होंने लोकसभा का जिक्र तक नहीं किया, जहां इतने सारे फर्जी मतदाता पकड़े गए और उनकी पहचान की गई. इसका भी कोई जिक्र नहीं था.
शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी आयोग पर निशाना साधते हुए कहा, हमें अपने सवालों का कोई ठोस जवाब नहीं मिला. यह बस एक स्क्रिप्ट थी जो भाजपा कार्यालय से तैयार की गई लगती थी और जिसका उद्देश्य विपक्ष को निशाना बनाना था. अब यह स्पष्ट हो गया है कि चुनाव आयोग अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहा है, जबकि भाजपा इसे विपक्ष पर हमला करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है.
समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा, अगर चुनाव आयोग देश के सामने शपथ लेकर कहता है कि उसकी मतदाता सूची पूरी तरह से सही है, तो उसे हलफनामा मांगने का अधिकार है. अगर चुनाव आयोग कोई गलती करता है, तो वह सुधार के लिए आवेदन करने को कहता है, लेकिन अगर कोई उसकी ओर इशारा करता है, तो वह हलफनामा मांगता है. यह सही नहीं है.
एनसीपी (एसपी) विधायक रोहित पवार ने भी चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा, हम चुनाव आयोग से कहना चाहते हैं कि आप एक संवैधानिक संस्था हैं. आपको उसी तरह काम करना चाहिए जैसा आपसे अपेक्षित है, लेकिन आप ऐसा नहीं कर रहे हैं. आप भाजपा के एक विस्तारित विभाग की तरह काम कर रहे हैं. यहां आप वास्तविक कार्रवाई किए बिना केवल शब्दों या भाषा के माध्यम से गुमराह कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, चुनाव आयोग ने साफ कहा था कि उन्हें सात दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करना होगा, अन्यथा उन्हें (राहुल गांधी) लोगों से माफी मांगनी चाहिए. मैं पूछना चाहता हूं कि आज 18 अगस्त है, अब तक उन्होंने कितने नामों को गलत पाया है और चुनाव आयोग को सौंपा है? भ्रम फैलाने से कोई फायदा नहीं होगा.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, राहुल गांधी अराजकता फैला रहे हैं और संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठा रहे हैं. हर प्रक्रिया की एक उचित प्रक्रिया होती है; अगर किसी राजनीतिक दल को मतदाता सूची प्रकाशन और संशोधन पर आपत्ति है, तो वह इसे आधिकारिक रूप से उठा सकता है.
उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी देश में अफवाहें फैला रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, उनका आचरण न तो लोकतांत्रिक है और न ही संवैधानिक, बल्कि पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना है. विपक्ष के नेता जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति के लिए ऐसी हरकतें शर्मनाक हैं.
जेडीयू सांसद दिलेश्वर कामत ने भी चुनाव आयोग पर निशाना साधने के लिए राहुल गांधी की आलोचना की. उन्होंने कहा, चुनाव आयोग ने भ्रम की स्थिति का जवाब दे दिया है, अब राहुल गांधी के लिए भी ऐसा ही करने का समय आ गया है. देश के लोग जानते हैं कि आयोग का उद्देश्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है. निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए हलफनामा जरूरी है.

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