जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : अनुसूचित जाति-जनजाति शिक्षक एसोसिएशन ने सरकारी विद्यालयों में प्रतिदिन भगवत गीता के श्लोक पढ़ाए जाने का विरोध किया है। कहा कि विद्यालयों में अन्य धर्म व जाति के विद्यार्थी भी शिक्षा ग्रहण करते हैं।
निदेशक माध्यमिक शिक्षा उत्तराखंड के 15 जुलाई को जारी प्रार्थना सभा में भगवत गीता के श्लोक को शामिल करने संबधी आदेश का अनुसूचित जाति-जनजाति शिक्षक एसोसिएशन की गढ़वाल मंडल कार्यकारिणी ने विरोध किया है। गुरुवार को यहां जारी एक बयान में एसोसिएशन के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष अनूप कुमार पाठक ने कहा कि भागवत गीता हिन्दू लोगों का पवित्र ग्रंथ है। कहा कि संविधान में उल्लेख है कि सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती है। सरकारी विद्यालयों में सभी धर्मों के छात्र अध्ययन करते हैं। ऐसे में दूसरे समुदाय के छात्रों में रोष पैदा होने की संभावना है। इस तरह के आदेशों से सामाजिक समरसता और समावेशी शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति नहीं हो सकती है। मौके पर उन्होंने छात्र हित में सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग की है।