केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के प्रस्ताव का विरोध
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज ने शासन की ओर से भगवान केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने को लेकर भारतीय पुरातत्व विभाग को भेजे गए प्रस्ताव पर कड़ी नाराजगी जताई है। साथ ही इसका विरोध किया है। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि केदारनाथ मंदिर कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे किसी व्यक्ति ने बनवाया हो, यह पौराणिक धरोहर है इसलिए इसके साथ टेड़छाड़ का पुरजोर विरोध किया जाएगा। मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू को भेजे गए ज्ञापन में तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि चाराधामों में जिस तरह देवस्थानम् बोर्ड को भंग करने को लेकर आंदोलन चलाया। ठीक उसी प्रकार अब इस प्रस्ताव को निरस्त कराने को लेकर भी धामों में आंदोलन किया जाएगा। यदि सरकार ने प्रस्ताव को वापस नहीं लिया तो चारधामों को बंद किया जाएगा। केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि शासन व उत्तराखंड सरकार ने ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने को लेकर भारतीय पुरातत्व विभाग को प्रस्ताव भेजा है। इस संबंध में सरकार ने स्थानीय हक-हकूकधारियों से कोई रायशुमारी नहीं ली है। अपनी मनमर्जी से सरकार कार्य करने में लगी है, जो कि सरासर गलत है। केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने के पीटे सरकार की मंशा यहां कि जमीन व भवनों को हड़पने की है और सदियों से चली आ रही परंपरा को खत्म करने की है। सरकार का यह भी मकसद है कि मंदिर में पूजा-अर्चना व अन्य के जरिए रोजगार करने वाले लोगों को बेरोजगार किया जाए। जो कार्य उत्तराखण्ड सरकार देवस्थानम बोर्ड लागू करके न कर सकी, उस कार्य को इस प्रकार के हथकंडे अपनाकर किया जा रहा है। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि इस दिशा में शीघ्र ही चारधाम तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत समिति की बैठक की जाएगी, जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। विचार-विमर्श के बाद सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन किया जाएगा। केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि सरकार की मंशा को किसी भी हाल में पूरा नहीं होने दिया जाएगा। सरकार की मंशा यहां के मठ-मंदिरों को हड़पने की है। पहले देवस्थानम बोर्ड को लागू किया गया, लेकिन विरोध के बाद बोर्ड को भंग करके अब इस प्रकार के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बद्री-केदार मंदिर समिति के अधीन चारधामों में बेहतर व्यवस्थाएं संचालित हो रही है। इन व्यवस्थाओं को खराब करने की कोशिश न की जाए, अन्यथा तीर्थ पुरोहित समाज उग्र आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएगा और सरकार को इसका हर्जाना भुगतना पड़ेगा। वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित संतोष शुक्ला ने कहा कि सदियों से यहां रहकर पूजा-अर्चना कर रहे लोगों से सरकार किसी भी प्रकार की बात तक नहीं करना चाहती है। कहा कि सरकार के इस कदम के विरोध में तीर्थ पुरोहित कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। तीर्थ पुरोहित त्रिवेदी ने कहा कि केदारनाथ धाम कोई ताजमहल नहीं है। इस मंदिर को किसी विशेष व्यक्ति ने नहीं बनाया है। यह स्थानीय तीर्थ पुरोहितों एवं हक-हकूकधारियों की भावनाओं से जुड़ा हुआ धार्मिक स्थल है और करोड़ों हिन्दुओं के आस्था का केन्द्र है। यह कोई टूरिज्म प्लेस नहीं है। सरकार को तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लेकर कार्य करना चाहिए, किंतु ऐसा नहीं किया जा रहा है।