बस्तियों में कार्रवाई के खिलाफ संगठनों ने किया सचिवालय कूच

Spread the love

देहरादून। बस्ती बचाओ आंदोलन, चेतना आन्दोलन, जनवादी महिला समिति समेत विभिन्न संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को गांधी पार्क से सचिवालय कूच किया। कुछ ही दूरी पर कनक चौक के पास पुलिस ने बेरिकेडिंग लगाकर सभी को आगे जाने से रोक दिया। इसके बाद सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। तहसीलदार सदर सुरेन्द्र देव के माध्यम से मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा गया, इसमें प्रभावितों के हस्ताक्षर करवाए गए हैं। इसमें बस्तियों में रहने वाले लोगों को मालिकाना हक देने, कार्रवाई पर रोक लगाने, एलिवेटेड परियोजना को रद्द करने समेत अन्य मांगों को प्रमुखता के साथ उठाया गया। वक्ताओं ने कहा कि एलिवेटेड रोड परियोजना से कई परिवार प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि इधर बस्तियों में बड़ी संख्या में मकानों को अवैध घोषित किया जा रहा है। दूसरी तरफ बड़े रसूखदारों और सरकारी कब्जों को नजरअंदाज किया जा रहा है। ज्ञापन के माध्यम से बस्तियों में रहने वाले लोगों को सभी प्रकार की नागरिक सुविधाएं देने, कोर्ट के आदेश का पालन करने, प्रभावितों के हित में कार्य करने समेत अन्य मांगें उठाई गई। इस दौरान बस्ती बचाओ अभियान के संययोजक अनंत आकाश, जिला महामंत्री सीटू लेखराज, सीटू के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नेगी, किसान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवान, शिव प्रसाद देवली, एटक के प्रांतीय महामंत्री अशोक शर्मा, बस्ती बचाओ आंदोलन के नरेंद्र सिंह, प्रेमा गढ़िया, सोनू कुमार, किरण यादव, अम्बेडकर युवक संघ के अध्यक्ष दिलेराम रवि, पूर्व अध्यक्ष बंटी सूर्यवंशी, भगवंत पयाल, रविन्द्र नौडियाल, एसएस नेगी, मनमोहन रौतेला, एसएफआई के प्रांतीय महामंत्री हिमांशु चौहान, अयाज अहमद, आंगनवाड़ी यूनियन की प्रांतीय कोषाध्यक्ष लक्ष्मी पंत, रजनी गुलेरिया, सुनीता रावत, भोजन माता यूनियन की महामंत्री मोनिका, बबीता, रजनी रावत, आशा यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे, सुनीता चौहान, संविदा श्रमिक संघ से जयकृत, नवीन तोमर, कैलाश तोमर, ई रिक्शा यूनियन से सोनू कुमार, बिलाल अहमद, देवानंद पटेल आदि मौजूद रहे। यह मांगें भी उठाईं सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने बताया कि सचिवालय कूच के दौरान मजदूर विरोधी चारों श्रम संहिताओं को रद्द करने, 26 हजार रुपये न्यूनतम वेतन लागू करने, संविदा श्रमिकों को पक्का करने, स्कीम वर्कर्स को कामगार घोषित करने व न्यूनतम वेतन देने समेत अन्य मांगों को लेकर भी ज्ञापन सौंपे गए। उन्होंने कहा कि सरकार श्रम कानूनों के स्थान पर मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताएं लागू करने का प्रयास कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *