कोटद्वार-पौड़ी

प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाना हमारा संस्कार : धामी

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राज्यस्थान में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वीर सैनिकों के परिजनों को किया सम्मानित
जयन्त प्रतिनिधि।
देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सम्मान में सोमवार को श्री गंगानगर राजस्थान के मानकसर गांव में क्षेत्रवासियों द्वारा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु जंभेश्वर भगवान की पुण्यभूमि में आकर वे अविभूत है। उन्होंने कहा कि गुरु जंभेश्वर जी ने जीवन में 29 नियम अपनाने के लिए कहा था। उनके द्वारा दिये गए नियमों को आत्मसात कर आज विश्नोई समाज, वाणी पर संयम रखने के साथ ही अन्य नियमों का पालन कर रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सूरतगढ, श्री गंगानगर राजस्थान में सैनिक सम्मान समारोह कार्यक्रम में वीर सैनिकों के परिजनों को सम्मानित करते हुये कहा कि राजस्थान और उत्तराखंड, वीरों एवं बलिदानियों की भूमि है, ये बात हमारे सैनिकों ने अब तक हुए सभी युद्धों में सिद्ध की है। हमने हमेशा माना है कि देशभक्ति सभी प्रकार की भक्तियों में सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि वीर सैनिकों एवं उनके परिजनों को सम्मानित कर वे स्वयं को सम्मानित अनुभव कर रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सैनिक की वीरता तथा उनके परिजनों का संघर्ष भी देखा है। एक सैनिक जीवन में संघर्ष के बावजूद दृढ़ता पूर्वक अपने देश के स्वाभिमान को बचाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है। सैनिकों के प्रति हमारी सरकार का समर्पण किसी से छिपा हुआ नहीं है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजस्थान में वन एवं पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने वाली अमृता देवी विश्नोई की शहादत को नमन करते हुए कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड जैसे हिमालय क्षेत्र में वन संरक्षण को लेकर हुए चिपको आंदोलन से तो काफी लोग वाकिफ हैं। परंतु इससे सैकड़ों वर्ष पहले राजस्थान में भी अमृता देवी जी के नेतृत्व मैं चिपको जैसा आंदोलन हो चुका है,जिसमें पेड़ों को बचाने के लिए 363 लोगों ने अमृता देवी जी के नेतृत्व में अपना बलिदान दिया। इस प्रकार हम पीढ़ियों से पर्यावरण के संरक्षक रहे हैं। प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाना हमारा संस्कार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पुरखों ने प्रकृति और मानव के सह-अस्तित्व पर एक समृद्ध विचारधारा को पोषित किया और आज सदियों बाद भी, हम उस विचार का, उतनी ही निष्ठा से अनुसरण करते आ रहे हैं। हमारी संस्कृति में वृक्षारोपण और वृक्ष संरक्षण दोनों का ही एक वैभवशाली और अनुसरणीय इतिहास रहा है। अमृता देवी जी और उनके साथियों के बलिदान की गाथा को कोई नहीं भूल सकता। इस महिला सत्याग्रही ने पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण और नारी सशक्तिकरण को नए अर्थों में परिभाषित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड और वीरभूमि राजस्थान सांस्कृतिक रूप से एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। राजस्थान प्राचीन काल से ही वीर भूमि रही है। यहां के वीरों तथा वीरांगनाओं ने अपना सर कटा दिया पर शत्रुओं के सामने कभी सर नहीं झुकाया। उनका भी राजस्थान की इस महान धरती से गहरा सम्बन्ध है, क्योंकि उनके पूर्वज भी राजस्थान से ही उत्तराखंड में आये थे।

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