ऑउटसोर्स कार्मिकों ने वेतन से जीएसटी काटने का लगाया आरोप, पांच माह से नहीं मिला वेतन, परिवार के भरण पोषण का संकट
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के अन्तर्गत कार्यरत आउटसोर्स कार्मिकों को लंबे समय से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिस कारण कार्मिकों के समक्ष परिवार के भरण पोषण का संकट उत्पन्न हो गया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि वेतन से अनियमित कटौती की जा रही है। जिससे कर्मचारी मानसिक तनाव से गुजर रहे है। कार्मिकों ने प्रदेश सरकार से तत्काल वेतन का भुगतान करने, अनियमित वेतन कटौती पर रोक लगाने की मांग की है। साथ ही एजेन्सी का टेण्डर समाप्त होने पर पीआरडी या उपनल के माध्यम से कार्मिकों को करने की मांग की है।
डिस्ट्रिक मैनेजर सुरेन्द्र्र ंसह बिष्ट ने कहा कि जनपद पौड़ी गढ़वाल में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में आउटसोर्स एजेन्सी के माध्यम से कार्मिकों की भर्ती की गई थी। वर्तमान में कार्मिक राष्ट्रीय पोषण मिशन, महिला शक्ति केन्द्र, वन स्टाप सेन्टर के अन्तर्गत कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि आउटसोर्स एजेन्सी के माध्यम से विभाग में रखे गये कार्मिकों के वेतन से जीएसटी काटा जा रहा है, जबकि कर्मचारियों को अवगत करा गया है। नियुक्ति तिथि से दिसम्बर 2019 एवं फरवरी से अप्रैल 2020 तक के वेतन में से जीएसटी की कटौती नहीं की गयी है, लेकिन अब नियुक्ति तिथि से 15 सितम्बर 2020 तक जनवरी 2020 एवं मई से 15 सितम्बर 2020 तक के भुगतान किये जाने वाले वेतन से 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी की कटौती कार्मिको के वेतन से एक साथ की जा रही है, जबकि भारत सरकार के शासनादेश में स्पष्ट निर्देश है कि जीएसटी का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा, ना कि कार्मिको के वेतन से कटौती की जायेगी। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के अन्र्तगत रखे गये कार्मिको को विभाग द्वारा संविदा के आधार पर नियुक्त किया गया है और भारत सरकार के मानको के अनुसार वेतन का भुगतान किया जा रहा है, लेकिन उतराखण्ड राज्य में कार्मिकों का चयन आउट र्सोसिंग एजेन्सी के माध्यम से किया गया है। जिस कारण जीएसटी तथा आउटर्सोसिंग एजेन्सी का सेवा शुल्क का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाना है। जिससे राज्य सरकार पर भी आर्थिक बोझ बढ़ रहा है तथा कार्मिको का भी निर्धारित वेतन नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आउट र्सोसिंग एजेन्सी द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि, राज्य कर्मचारी बीमा योजना के तहत दिये जा रहे लाभ में अनियामिताएं की जा रही है। कर्मचारी भविष्य निधि में कर्मचारी के वेतन से 12 प्रतिशत तथा कर्मचारी पेंशन योजना में 8.33 प्रतिशत धनराशि जमा की जाती है, परन्तु राज्य के अन्तर्गत कार्यरत कार्मिकों के वेतन से ही नियोक्ता एवं कर्मचारी दोनों के योगदान की कटौती की जा रही है। उन्होंने कहा कि उक्त फर्म द्वारा कार्मिकों के वेतन से ईपीएफ एवं ईएसआई की कटौती की गयी, लेकिन धनराशि को कार्मिकों के ईपीएफ एवं ईएसआई खातों में जमा नही किया जा रहा है। जिससे कार्मिकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।