उत्तराखंड

मेडिकल कॉलेज के आउटसोर्स कर्मचारियों ने दिया धरना

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अल्मोड़ा। मेडिकल कॉलेज के आउटसोर्स कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सोमवार को धरना दिया। इस दौरान आउटसोर्स कर्मचारियों ने 02 घंटे कार्य बहिष्कार भी किया। नारेबाजी कर प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई। धरना दे रहे कर्मचारियों का कहना था कि उन्हें तीन माह से वेतन नहीं मिला है जिसके चलते उनका जीवन यापन कठिन हो रहा है। समय पर वेतन नहीं मिलने से घर के राशन से लेकर बच्चों की फीस समेत अनेक दिक्कतों का उन्हें सामना करना पड़ रहा है। आउटसोर्स कर्मचारियों का कहना है कि कोविड काल से आउटसोर्सिंग के जरिए निरंतर काम कर रहे नर्सिंग स्टाफ, क्लर्क, वार्ड बॉय, वार्ड आया, सुरक्षा गार्ड, तकनीशियन, फार्मासिस्ट, पर्यावरण मित्रों की सुध नहीं ली जा रही है। कर्मचारियों से प्रति माह पांच सौ रुपए की ग्रेच्युटी की कटौती की जाती है। आउटसोर्सिंग की कंपनियां बदलते रहती हैं जब उनसे ग्रेच्युटी की रकम के भुगतान के लिए बोला जाता है तो कंपनी वाले बोलते हैं कि ग्रेच्युटी का भुगतान 05 साल में होता है। जब आउटसोर्सिंग कंपनी बदलते रहती है तो एसे में ग्रेच्युटी का भुगतान कैसे हो पाएगा। कर्मचारियों का कहना है कि 113 कर्मचारियों के पद स्वीकृत नहीं हैं जिसके लिए प्रशासन को अवगत कराया गया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। आउटसोर्स कर्मचारियों ने 113 अस्वीकृत पदों की स्वीकृति, मानदेय में वृद्धि व ग्रेचुटी की काटी गई धनराशि वापस दिलाने की मांग की है। कर्मचारियों ने मांगे पूरी नहीं होने तक आंदोलन करने की बात कही। धरनास्थल पर पहुंचे मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सी पी भैसोड़ा ने बताया कि आज चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह ने वीसी के जरिए कहा कि राज्य के मेडिकल कॉलेजों की समस्याओं का समाधान जल्द कर लिया जाएगा और आगामी 29 जून को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज आ रहे हैं। यहाँ धरने में मानसी चौधरी, दीक्षा, करिश्मा, कंचन सिंह, ललित गोस्वामी, सुशील कुमार, नरेन्द्र सिंह, गोपाल सिंह, प्रताप सिंह, मोनिका धामी समेत अन्य आउटसोर्स कर्मचारी मौजूद रहे।
मरीज रहे परेशान…….
एसएसजे मेडिकल कॉलेज व सम्बद्ध बेस चिकित्सालय के आउटसोर्स कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार के चलते मरीजों को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ी। नगर के आसपास और दूरदराज से आए मरीज परेशान रहे। पर्ची काउंटर और भुगतान काउंटर पर कर्मचारी नहीं होने से मरीजों के पर्चे नहीं बन पाए और लैब टेस्ट समेत अन्य सुविधाओं हेतु लोग लम्बी कतारों में खड़े रहे। कार्य बहिष्कार के बाद जब कर्मचारी अपनी सीट पर वापस लौटे तब जाकर मरीजों को सुविधाएं मिल पाई।

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