पानी को तरस रहे पाकिस्तान ने फिर लिखा भारत को पत्र, सिंधु विवाद सुलझाने की पेशकश

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नईदिल्ली, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा रद्द किए गए सिंधु जल समझौते से पाकिस्तान में मुसीबत खड़ी हो गई। उसने एक बार फिर भारत सरकार से विवाद सुलझाने के लिए पत्र लिखा है। इससे पहले भी पाकिस्तान भारत को 3 बार पत्र लिख चुका है।
पाकिस्तान की ओर से विवाद सुलझाने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को पत्र लिखकर बातचीत के लिए अपनी पेशकश दोहराई गई है।
भारत पत्रों में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।
22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद रद्द हुई संधि को बहाल करने के लिए पाकिस्तान ने अप्रैल में पत्र भेजा था।
यह पत्र पाकिस्तानी जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तज़ा की ओर से भेजा गया था।
मुर्तजा ने अपने पत्र में संधि के उन विशिष्ट प्रावधानों पर चर्चा करने की पेशकश की थी, जिन पर भारत को आपत्ति है।
इसके बाद 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के बाद से 3 और पत्र भेजे गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अभी इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ बातचीत करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है और संधि स्थगित रखने पर ठना हुआ है।
जल संसाधन मंत्रालय को मिल रहे पाकिस्तान सरकार के पत्रों को लगातार विदेश मंत्रालय को भेज दिया गया है, जिस पर मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया है।
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर आतंकवाद पर कार्रवाई न होने तक संधि बहाल करने के खिलाफ हैं।

जल संधि रद्द होने से पाकिस्तान को रबी फसल के लिए पानी नहीं मिल रहा है। अगर एक महीने तक पानी नहीं मिलता तो इससे फसल को काफी नुकसान होगा। यहां तक पीने के पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है।
हालांकि, पाकिस्तान की खरीफ की फसल को नुकसान नहीं होगा, क्योंकि वह मानसून पर निर्भर है।
वहीं भारत मानसून कम होते ही चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों पर अपने जलविद्युत जलाशयों में फ्लशिंग और डिसिल्टिंग ऑपरेशन को बढ़ाएगा।
जनवरी 2023 और सितंबर 2024 में भारत ने पाकिस्तान को सिंधु जल संधि की समीक्षा-संशोधन के लिए 2 पूर्व नोटिस भेजे थे, लेकिन पाकिस्तान ने बातचीत में दिलचस्पी नहीं दिखाई। जब भारत ने संधि रद्द की, तो पाकिस्तान बातचीत के लिए दबाव बना रहा है।
विश्व बैंक की मध्यस्थता से 1960 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी।
इसके तहत सिंधु घाटी में बहने वाली 3 पूर्वी नदियों (रवि, सतलज, व्यास) पर भारत का, जबकि 3 पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर पाकिस्तान का अधिकार है।
नदियां भारत से होकर बहती हैं, इसलिए पश्चिमी नदियों के 20 प्रतिशत पानी पर भारत का अधिकार है, वो सिंचाई समेत अन्य परियोजनाओं में इसका उपयोग करता है।

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