नई दिल्ली , पिछले दिनों पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही सतर्क थीं, और अब नेपाल की ओर से आई चेतावनी ने खतरे की गंभीरता को और भी बढ़ा दिया है। नेपाल के एक शीर्ष अधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा नेपाल की ज़मीन का इस्तेमाल भारत में हमले करने के लिए कर सकते हैं।
काठमांडू में हुए एक अहम सम्मेलन दक्षिण एशिया में आतंकवाद : क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा की चुनौती में नेपाल के राष्ट्रपति के सलाहकार सुनील बहादुर थापा ने कहा कि भारत-नेपाल के बीच खुली सीमा और वीज़ा-फ्री यात्रा व्यवस्था का आतंकवादी फायदा उठा सकते हैं। यह कार्यक्रम नेपाल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन एंड एंगेजमेंट (हृढ्ढढ्ढष्टश्व) द्वारा आयोजित किया गया था।
नेपाल के सांसद शिशिर खनाल ने कहा कि अब भारत और नेपाल को मिलकर बॉर्डर मैनेजमेंट को मजबूत करना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि हाईटेक निगरानी तकनीक का उपयोग हो, इंटेलिजेंस साझा किया जाए, और संयुक्त आतंकवाद विरोधी ऑपरेशंस शुरू किए जाएं।
नेपाल के पूर्व रक्षा मंत्री मिनेंद्र रिजाल ने पाकिस्तान की आतंकवाद को समर्थन देने की नीति की आलोचना की और कहा कि इससे भारत, नेपाल और खुद पाकिस्तान को नुकसान हो रहा है।
पुरानी घटनाएं जो चेतावनी देती हैं उनमें 2017 में पाकिस्तानी आतंकी को सोनौली बॉर्डर पर स्स्क्च ने गिरफ्तार किया। 1999 में ढ्ढष्ट 814 फ्लाइट को काठमांडू से हाईजैक किया गया था। 18 मई 2025 को लश्कर-ए-तैयबा के नेपाल मॉड्यूल प्रमुख की पाकिस्तान में हत्या हुई थी। वहीं 2025 पहलगाम हमले में इसमें एक नेपाली नागरिक की भी मौत हुई थी।
भारत-नेपाल सीमा पर खुली आवाजाही अब सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। नेपाल द्वारा जताई गई चिंता यह संकेत देती है कि आने वाले समय में भारत और नेपाल को मिलकर आतंकवाद के खिलाफ एक साझा रणनीति बनानी होगी।
‘ऑपरेशन सिंदूरÓ के तहत भारत पहले ही पाकिस्तानी लॉन्चपैड्स पर कार्रवाई कर चुका है, लेकिन अब आतंकियों की नजर सॉफ्ट एंट्री पॉइंट्स जैसे नेपाल सीमा पर है।