उत्तराखंड

देववन मंदिर पहुंची पवासी महासू देव की पालकी

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

विकासनगर। देववन जंगल में सालभर में एक बार आयोजित होने वाले अखतीर मेले में पवासी महासू देव शनिवार रात प्रवास पर देववन के मंदिर पहुंचे। गाजे-बाजे के साथ पहुंची देव पालकी की अखतीर यात्रा में स्थानीय लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। देववन के मंदिर में दो दिन पूजा-अर्चना के बाद पवासी महासू देव वापस मूल मंदिर लौटेंगे। देववन में पवासी महासू का प्राचीन मंदिर है। यहां साल भर में एक बार मई और जून माह के बीच में शुभ लग्न में अखतीर का मेला लगता है। मान्यता के अनुसार केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित होने के बाद देववन मंदिर में अखतीर मेले की तैयारी शुरू होती है।धार्मिक मान्यता के अनुसार इस मेले में परियों से मिलने का वचन निभाने के लिए पवासी महासू देव सालभर में एक बार प्रवास पर देववन के मंदिर जाते हैं। इस बार 19 और 20 मई को अखतीर मेले का आयोजन होने से पवासी महासू की देव पालकी गाजे-बाजे के साथ ठडियार मंदिर से दस किमी की पदयात्रा कर शनिवार रात को प्रवास पर देववन पहुंची। देव पालकी ने सबसे पहले मंदिर के पास स्थित शिला में जाकर परियों से भेंट की। देव पालकी और शिला की पूजा-अर्चना के बाद पवासी महासू देववन मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हुए, जहां दो दिन तक देवता की पूजा अर्चना की जाएगी।
साल में दो दिन खुलते हैं देववन मंदिर के कपाट
देववन मंदिर में दो दिन प्रवास के बाद पवासी महासू देव के वापस लौटने से मंदिर के कपाट साल भर के लिए बंद हो जाते हैं। इस मंदिर में सिर्फ दो दिन देवता की विशेष पूजा-अर्चना होती है। मंदिर के ठीक सामने दो जलकुंड में पानी हमेशा स्थिर रहता है। जबकि पत्थर की बड़ी शिला के पास से गुजरने पर लोगों को मधुमक्खियों के झुंड की आवाज सुनाई पड़ती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!