पेरिस ओलंपिक : भारतीय हॉकी टीम का पहला लक्ष्य होगा क्वार्टर फाइनल में पहुंचना
पेरिस , भारत ने टोक्यो में पुरुष हॉकी में ओलंपिक पदक के लिए 41 साल पुराना सूखा खत्म किया था। अब उसके सामने लगातार दूसरे ओलंपिक में पदक जीतने की चुनौती है। भारतीय हॉकी टीम ने आखिरी बार 1968 और 1972 में लगातार दो ओलंपिक गेम्स में पदक जीते थे, जिसमें मैक्सिको और म्यूनिख में कांस्य पदक शामिल हैं।भारत ओलंपिक हॉकी में सबसे सफल देश है। टीम ने वर्ष 1928 से 1956 तक लगातार छह स्वर्ण पदक जीते हैं। इसके बाद 1964 और 1980 में भी उसने गोल्ड जीता था। 1960 के रोम ओलंपिक में भारत के हाथ रजत पदक आया था। वर्ष 1968 और 1972 में टीम ने कांस्य पदक जीता था। वह भारतीय हॉकी का स्वर्णिम दौर था। टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद टीम ने कांस्य पदक जीतकर पदकों का सूखा जरूर समाप्त किया, लेकिन इस बीच इस खेल की शैली, मैदान, नियम और तैयारी के तरीकों में बहुत कुछ बदल गया और लगातार दो पदक जीतना अब इतना आसान नहीं है। भारतीय पुरुष टीम को इस बार पूल ‘बी’ में मौजूदा चैंपियन बेल्जियम, पूर्व विजेता ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, आयरलैंड और न्यूजीलैंड के साथ रखा गया है। पूल ‘ए’ में नीदरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन, मेजबान फ्रांस और अफ्रीकी चैंपियन दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
भारतीय टीम का पहला लक्ष्य क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई करने के लिए समूह में शीर्ष चार में जगह बनाना होगा। असली लड़ाई उसके बाद शुरू होगी।
भारत के लिए तैयारी काफी निराशाजनक रही है, खासकर ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज, और बेल्जियम के एंटवर्प तथा लंदन में आठ प्रो लीग मैच।
भारत इनमें से अधिकांश मैच हार गया, जिसके परिणामस्वरूप टीम प्रो लीग में नौ टीमों में सातवें स्थान पर रही। लगातार हार झेलने के कारण भारत की रैंकिंग एफआईएच रैंकिंग में शीर्ष पांच से गिरकर दुनिया में सातवें स्थान पर आ गई है।
पेरिस ओलंपिक के लिए डॉ. आर.पी. सिंह, बलविंदर सिंह, मोहम्मद रियाज, एम.एम. सौम्या, सरदार सिंह और बी.पी. गोविंदा की चयन समिति ने एक अनुभवी टीम चुनी है जिसमें 11 खिलाड़ी टोक्यो में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे।
इनमें से गोलकीपर पी.आर श्रीजेश और टोक्यो में रजत पदक विजेता टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह का यह चौथा ओलंपिक होगा। पांच खिलाड़ी- जरमनप्रीत सिंह, संजय, राज कुमार पाल, अभिषेक और सुखजीत सिंह अपना पहला ओलंपिक खेलेंगे।
टीम के पास पेरिस में चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्याप्त अनुभव है।
टीम ने मुख्य कोच क्रेग फुल्टन के नेतृत्व में रणनीतियों में बदलाव किया है। आक्रमण की मानसिकता अब डिफेंस में बदल गई है।
भारत ने हमेशा आक्रामक एशियाई शैली की हॉकी में विश्वास किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि टीम के पास मजबूत डिफेंस होना चाहिए जिसमें फॉरवर्ड से लेकर डिफेंडर तक सभी अपने हाफ में ही विरोधियों के हमले को रोकने में योगदान दें। लेकिन पूरी तरह रक्षात्मक दृष्टिकोण उन खिलाडिय़ों के लिए ठीक नहीं हो सकता है जिनकी मानसिकता आक्रामक होने की है।
भारत अपने अभियान की शुरुआत 27 जुलाई को न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच से करेगा।
इस मैच के अलावा, आयरलैंड के खिलाफ मुकाबला काफी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इन दोनों मैचों को जीतने से कम से कम यह सुनिश्चित हो जाएगा कि टीम अपने ग्रुप में शीर्ष चार में रहे और क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई करे।
अन्य मैचों में, भारत 29 जुलाई को अर्जेंटीना से भिड़ेगा। इसके बाद अगले दिन आयरलैंड और 1 अगस्त को गत विजेता बेल्जियम से भिड़ेगा। पूर्व विजेता ऑस्ट्रेलिया के साथ 2 अगस्त को भारत को खेलना है।
ग्रुप:
पूल ए : नीदरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका।
पूल बी : बेल्जियम, भारत, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, न्यूजीलैंड, आयरलैंड।