कोटद्वार-पौड़ी

परशुराम-लक्ष्मण संवाद रहा आकर्षण का केंद्र

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श्रीनगर गढ़वाल : श्री आदर्श रामलीला समिति की ओर से श्रीनगर में चल रही रामलीला के दूसरे दिन अहिल्या तारण, सीता स्वयंवर लीला, रावण-बाणासुर संवाद, लक्ष्मण-परशुराम संवाद लीला का मंचन किया गया। इस दौरान कलाकरों की अभिनय एवं संवाद प्रस्तुति को देख दर्शक गदगद हुए।
लीला का शुभारम्भ राजा जनक द्वारा चारों दिशाओं में सीता स्वयंवर के लिए भेजे गए आमंत्रण से शुरू होती है। देश विदेश के राजा स्वयंवर में पहुंचते हैं। लंका का राजा रावण व पाताल के राजा बलि को स्वप्न में पता चलता है कि जनकपुर में स्वयंवर रचा गया है। दोनों धनुष यज्ञ स्थल पर पहुंचकर एक दूसरे से संवाद करते हैं। जब कोई भी धनुष उठाने में सफल नहीं होता है तो राजा जनक द्वारा पृथ्वी वीरों से खाली है कहे जाने पर लक्ष्मण क्रोधित होकर अपने स्थान से उठ जाते हैं। तब श्रीराम उन्हें शांत कर गुरू की आज्ञा लेकर राजा जनक का प्रण पूरा करने के लिए धनुष का खंडन करते हैं। लीला में परशुराम-लक्ष्मण संवाद भी आकर्षण का केंद्र रहा। इस मौके पर देवी गौरी एवं अहिल्या बाल कलाकार आरुषि डोभाल, राम दीपांशु गुप्ता, लक्ष्मण नवीन उनियाल, सीता प्रियव्रत जोशी, परशुराम अरुण बडोनी, विश्वामित्र सोनू, जनक बुद्धिबल्लभ उनियाल, सुनैना पवन जोशी, रावण सुदेश जुगरान, बाणासुर हिमांशु नौडियाल, जनक मंत्री मुकेश सेमवाल रहे। मौके पर बतौर मुख्य अतिथि सुरेंद्र चौहान, समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कैंतुरा, दीपक उनियाल, देवेंद्र मणि मिश्रा, सुजीत अग्रवाल,ओमप्रकाश गोदियाल, आशीष उनियाल आदि मौजूद रहे। (एजेंसी)

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