उत्तराखंड

एम्स में हड़ताल से मरीजों की फजीहत

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ऋषिकेश। कोलकाता कांड को लेकर एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों का आक्रोश थम नहीं रहा है। दरिंदगी की शिकार प्रशिक्षु महिला डॉक्टर को न्याय दिलाने समेत तीन सूत्रीय मांगों को लेकर रेजीडेंट डॉक्टर शुक्रवार को भी हड़ताल पर रहे। समर्थन में नर्सिंग स्टाफ भी आ गया है, जिससे संस्थान की ओपीडी सेवाएं प्रभावित रहीं। हड़ताल का सीधा असर दूर-दराज से संस्थान में इलाज को पहुंचने वाले मरीजों पर पड़ रहा है। शुक्रवार को रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के आह्वान पर एम्स के सभी रेजीडेंट हड़ताल पर रहे। कार्य बहिष्कार से ओपीडी में इलाज को आए मरीजों को दिक्कतें पेश आईं। रेजीडेंट कोलकाता में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ जघन्य अपराध के विरोध में डीन कार्यालय के बाहर हड़ताल पर डटे रहे। उन्होंने घटना पर आक्रोश जाहिर करते हुए प्रदर्शन किया। एसोसिएशन के महासचिव डॉ. कार्तिक ने बताया कि रेजीडेंट ट्रेनी डॉक्टर के परिजनों को न्याय, निष्पक्ष जांच कर सभी दोषियों की कड़ी सजा और सेंट्रल हेल्थ प्रोटेक्शन बिल लागू करने की मांग है। इसी के मद्देनजर यह हड़ताल की जा रही है, जिसमें इमरजेंसी सेवाओं में रेजीडेंट काम कर रहे हैं। जबकि, अन्य सेवाओं को लेकर फिलहाल हड़ताल है। चेताया कि शीघ्र ही सरकार इन मांगों को लेकर ठोस कदम नहीं उठाती है, तो इमरजेंसी के अलावा अन्य सेवाओं में पूर्ण कार्य बहिष्कार करने पर भी विचार किया जाएगा। प्रदर्शन में डॉ. सावन, डॉ. रजत शर्मा, डॉ. भैरवी, डॉ. विदु, डॉ. पंकज, बांके बिहारी पांडेय, श्याम सुंदर नामा, संजय कुमार, राज शेखर आदि शामिल रहे।
फैकल्टी एसोसिएशन का सुरक्षा इंतजामों पर जोर
एम्स की फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स ऋषिकेश ने भी अस्पतालों में सुरक्षा अधिनियम और दीर्घकालिक सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने की मांग की है। कोलकत्ता के जघन्य कांड पर कहा कि मानवता की सेवा के लिए समर्पित चिकित्सकों की समुचित सुरक्षा के लिए सरकार को सुरक्षा अधिनियम बनाने की जरूरत है। एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ. पंकज कंड़वाल ने मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के प्रवेश द्वार, ड्यूटी रूम और आसपास व्यापक सीसीटीवी निगरानी प्रणाली को विकसित करने, पार्किंग एरिया, पैदल मार्गों और एकांत वाले स्थानों में पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था करने, रात्री पाली के दौरान प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाने आदि की मांग भी उठाई। बैठक में डॉ. सत्याश्री, सहसचिव डॉ. जितेंद्र चतुर्वेदी, डॉ. के राजराजेश्वरी, डॉ. कल्याणी श्रीधरन, डॉ. अनिन्दया दास, डॉ. आशुतोष तिवारी, डॉ. रुपेंद्र देओल, डॉ. विजय कृष्णन, डॉ. इंद्रकुमार शेरावत शामिल रहे।

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