उत्तराखंड

रुद्रनाथ मंदिर को नुकसान पहुंचाने से गुस्से में लोग

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चमोली। रुद्रनाथ मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार, चौनल गेट को तोड़ कर मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंच कर नुकसान पहुंचाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। आस्थावान लोग जहां इस घटना से आहत और आक्रोशित हैं वहीं इस सवाल किया जा रहा है कि शीतकाल की अवधि में जब रुद्रनाथ मंदिर के कपाट बंद रहते हैं तो वे कौन लोग थे, जो इस अवधि में रुद्रनाथ पहुंचे। कैसे इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया। सेंचुरी एरिया होने के बावजूद शीतकाल में आवागमन बंद होने के बावजूद कैसे वे शरारती तत्व रुद्रनाथ पहुंच गये। माना जा रहा है कि रुद्रनाथ के मंदिर के द्वार समेत अन्य सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने की करतूत के पीटे क्या कीड़ा जड़ी के तस्करों या वन्य प्राणियों के अवैध शिकारियों का हाथ हो सकता है। या किन्हीं शरारती तत्वों ने जानबूझकर कर इस घटना को अंजाम दिया। रुद्रनाथ के पुजारी पंडित हरीश भट्ट, जनार्दन तिवारी, धर्मेंद्र तिवारी, डा अरविन्द भट्ट कहते हैं पूरे प्रकरण की शीघ्र और गम्भीरता से जांच तत्काल होनी चाहिए। रुद्रनाथ मंदिर के हक हकूकधारी सत्येन्द्र सिंह, रुद्रनाथ वन क्षेत्र से जुड़े रवीन्द्र सिंह ने मांग की है कि कैसे और कौन लोग शीतकाल में बिना अनुमति के रुद्रनाथ पहुंचे, इसकी जांच हो। रुद्रनाथ भगवान शिव के पंच केदारों में एक हैं। रुद्रनाथ गुफा मंदिर में भगवान शिव के चेहरे के दर्शन होते हैं। रुद्रनाथ के पुजारी डा अरविन्द भट्ट, हरीश भट्ट बताते हैं। भारत में रुद्रनाथ में भगवान शिव के एकान्त रूप, पशुपति नाथ नेपाल में चतुरानन और इंडोनेशिया में पंचानन रूप के दर्शन होते हैं। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ इंद्र सिंह ने कहते हैं कि रुद्रनाथ एरिया व्यापक स्तर पर फैला है। यहां अलग-अलग स्थानों से पहुंचा जा सकता है। यूं वन विभाग की टीम हमेशा निगरानी रखती है पर एरिया के सापेक्ष स्टाफ बहुत कम है।

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