उत्तराखंड

पिथौरागढ़ के 24 गांवों को विकास प्राधिकरण में शामिल करने से भड़के लोग

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पिथौरागढ़। नगर से लगे 24 गांव के ग्रामीणों व युवाओं ने जिला विकास प्राधिकरण के दायरे से बाहर करने की मांग को लेकर डीएम कार्यालय में प्रदर्शन किया। प्राधिकरण के विरोध के लिए एक नए संगठन जन संघर्ष सेना का गठन किया गया है। संगठन ने सरकार व प्रशासन से 24 गांवों को प्राधिकरण के दायरे से बाहर करने की मांग को लेकर डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। शनिवार को जन संघर्ष सेना के सदस्याषेंद्र महर के नेतृत्व में युवाओं व ग्रामीणों ने डीएम कार्यालय में प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि शासन ने नगर से लगे 24 गांवों को जिला विकास प्राधिकरण में शामिल किया गया है। इन गांवों के ग्रामीणों को भवन निर्माण कराने से पहले प्लान पास कराना अनिवार्य होगा। भाजपा सरकार प्राधिकरण के नाम पर जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ाने का काम कर रही है। प्राधिकरण के नियम काफी जटिल हैं, जो सरकार के राजस्व वसूली का सबसे बड़ा जरिया बन गए हैं। प्राधिकरण के नियम पर्वतीय क्षेत्रों के लिए पलायन का बड़ा कारण बन जाएंगे। पर्वतीय क्षेत्र की विषम भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए यहां डीडीए के नियम लागू करना गलत है। ग्रामीणों ने कहा कि प्राधिकरण के दायरे में शामिल किए गए कई गांवों तक सड़क नहीं पहुंची है और कई गांवों की सड़क से दूरी करीब 200 से 500 मीटर की है। भवन निर्माण के लिए लोगों को माल ढुलान कराना पड़ता है, जिसमें उनकी लाखों की धनराशि खर्च हो जाती है। एक आवासीय मकान बनाने में ही भवन स्वामी की जीवन भर की जमा-पूंजी लग जाती है। ऐसे में गांवों में विकास प्राधिकरण के नियम लागू होने से ग्रामीणों के लिए अपने सपनों का आशियाना बनाना सपना ही रह जाएगा।
ये रहे शामिल- महिपाल वल्दिया, किशन धामी, दीपक तडागी, रजत उप्रेती, अक्षय कुमार,ाषभ कल्पासी, आनंद धामी, राजेश शर्मा, निखिल ऐरी, महेंद्र प्रसाद, दीवान सौन, विजेंद्र कुंवर, पारस सिंह, मनोज कुमार, लक्ष्मण प्रसाद।

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