बजट में लोगों को है इनकम टैक्स स्लैब और आयकर दरों में राहत की उम्मीद
नई दिल्ली, एजेंसी। हर साल केंद्रीय बजट में सबसे अधिक प्रतीक्षा जिसकी होती है, उसमें व्यक्तिगत कराधान से संबंधित है। आमतौर पर हर बजट में आयकर दरों और स्लैब की समीक्षा की जाती है। हालांकि, 2014 के बाद से इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ऐसे में सवाल है कि क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को बजट में स्लैब में बदलाव कर टैक्सपेयर्स को राहत देंगी?
मूल व्यक्तिगत कर छूट की सीमा को पिछली बार 2014 में संशोधित किया गया था। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का पहला बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुनियादी आयकर टूट की सीमा दो लाख रुपये से बढ़ाकर 2़5 लाख रुपये कर दी थी। वरिष्ठ नागरिकों के लिए टूट की सीमा 2़5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी है, तब से बुनियादी टूट की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2022 को अपना चौथा केंद्रीय बजट पेश करने वाली हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना घ्घ्है कि वित्त मंत्री करदाताओं को बड़ी राहत देने की घोषणा कर सकती हैं। अपेक्षित राहत में मूल टूट सीमा को 2़5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये करना शामिल है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए इसे मौजूदा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 3़5 लाख रुपये किए जाने की संभावना है। शीर्ष आय स्लैब को भी मौजूदा 15 लाख रुपये से संशोधित किए जाने की संभावना है।
केपीएमजी द्वारा हाल में विभिन्न हितधारकों के बीच किए गए एक बजट पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार, करदाताओं के बहुमत (64 प्रतिशत) को 2़5 लाख रुपये की मूल आयकर टूट सीमा में बढ़ने की उम्मीद है। इस बारे में केपीएमजी इन इंडिया के पार्टनर और नेशनल हेड अफ टैक्स राजीव डिमरी ने कहा कि हमारे बजट पूर्व सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि 2़5 लाख रुपये की मूल आयकर टूट सीमा में वृद्घि के माध्यम से व्यक्तिगत करदाताओं के लिए राहत की प्रतीक्षा है। प्रतिवादी 10 लाख रुपये के शीर्ष आय स्लैब में ऊपर की ओर संशोधन का भी समर्थन करते हैं।
हालांकि, निर्मला सीतारमण ने अब तक टैक्स स्लैब और दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन उन्होंने बजट 2020 में एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की है। नई कर व्यवस्था के तहत, कर टूट और कटौती को छोड़ने के इच्छुक लोगों के लिए कर की दरें कम कर दी गई हैं। नई कर व्यवस्था करदाताओं के लिए वैकल्पिक बनी हुई है। इसका मतलब है कि करदाता के पास या तो पुरानी व्यवस्था से जुड़े रहने या नई व्यवस्था चुनने का विकल्प होता है। वर्तमान में 2़5 रुपये तक की आय दोनों व्यवस्थाओं के तहत कराधान से मुक्त है। 2़5 से 5 लाख रुपये के बीच की आय पर पुराने और साथ ही नई कर व्यवस्था के तहत 5 प्रतिशत की दर से कर लगता है।
5 लाख रुपये से 7़5 लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय पर पुरानी व्यवस्था के तहत 20 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है, जबकि नई व्यवस्था के तहत कर की दर 10 प्रतिशत है। पुरानी व्यवस्था में 7़5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच की आय पर 20 प्रतिशत की दर से कर लगता है, जबकि नई व्यवस्था में कर की दर 15 प्रतिशत है।
पुरानी व्यवस्था के तहत 10 लाख रुपये से अधिक की व्यक्तिगत आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगता है। हालांकि, नई व्यवस्था के तहत, 10 लाख रुपये से ऊपर के तीन स्लैब हैं। नई व्यवस्था के तहत 10 लाख रुपये से 12़5 लाख रुपये के बीच की व्यक्तिगत आय पर 20 प्रतिशत की दर से कर लगता है। 12़5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक की आय पर 25 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगता है। प्रभावी कर की दर उपकर और अधिभार के कारण बहुत अधिक है।
पांच लाख रुपये तक की शुद्घ कर योग्य आय वाले व्यक्ति को पुराने और साथ ही नई कर प्रणाली दोनों में धारा 87। के तहत 12,500 रुपये तक की कर टूट का लाभ उठाने की अनुमति है। इसलिए प्रभावी रूप से दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत पांच लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों की कर देयता शून्य है।
2014 से धारा 80सी के तहत कटौती की सीमा में बदलाव नहीं हुआ है। 2014 के बजट में 80सी कटौती की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1़5 लाख रुपये कर दी गई थी, जबकि होम लोन पर ब्याज की कटौती की सीमा को बढ़ाकर 1़5 लाख रुपये से 2 लाख रुपये कर दिया गया था।
ये दोनों कटौतियां 2014 से नहीं बदली हैं। हालांकि, बाद के बजटों में कुछ अतिरिक्त कटौतियां पेश की गई हैं। 2015 के बजट में सरकार ने धारा 80 सीसीडी के तहत राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत योगदान के लिए 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती की शुरुआत की। स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की सीमा भी 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी गई है। इस साल के बजट में आयकर व्यवस्था के सरलीकरण और युक्तिकरण की दिशा में बड़े कदमों की भी उम्मीद है।
बजट 2020-21 में विभिन्न प्रति की लगभग 70 टूटों और कटौतियों को हटा दिया गया। उस दौरान वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि शेष टूट और कटौती की समीक्षा की जाएगी और आने वाले वर्षों में कर प्रणाली को और सरल बनाने और कर की दर को कम करने की दृष्टि से युक्तिसंगत बनाया जाएगा। वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट में आयकर दरों या स्लैब में कोई खास बदलाव नहीं किया।
राजीव डिमरी ने कहा कि हालांकि, सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कर विवादों को हल करने और कर विवाद समाधान ढांचे को ओवरहाल करने के लिए कई उपाय किए हैं। इस संबंध में आगे के उपायों से मुकदमेबाजी को कम करने में मदद मिल सकती है। अनुपालन बोझ को कम करने के लिए टीडीएस और टीसीएस प्रावधानों के युक्तिकरण का भी स्वागत किया जाएगा।