एनआईटी कैंपस बनाने को पहले चरण में 315 पेड़ों के पालन की मिली अनुमति

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जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : सुमाड़ी में प्रस्तावित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) का परिसर बनाने को लेकर यहां खड़े पेड़ों के कटान की संस्तुति वन सरंक्षक गढ़वाल ने भी दी है। पहले चरण में 315 पेड़ों के पातन की अनुमति मिली है। डीएफओ गढ़वाल स्वप्निल अनिरुद्ध ने बताया कि सीएफ स्तर पर संस्तुति के बाद शर्तों के साथ पहले चरण में 315 पेड़ों के पातन की अनुमित दे दी गई है। यहां खड़े आम, पीपल और बरगद जैसी प्रजातियों के पेड़ों के कटान की अनुमति नहीं है, इन्हें यहां से हटाकर दूसरी सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करना होगा। जितने पेड़ कटेंगे, ठीक उससे दो गुने नए पेड़ों को लगाना पड़ेगा।
बता देें कि डीएफओ गढ़वाल ने अपनी संस्तुति सहित रिपोर्ट सीएफ को भेज दी थी। जिसमें कई दौर के निरीक्षण के बाद एनआईटी परिसर को बनाने में 979 पेड़ों के कटान की बात कही गई थी। सीएफ की संस्तुति के बाद डीएफओ गढ़वाल ने पहले चरण में 315 पेड़ों के पातन की अनुमति विभिन्न शर्तों के साथ दे दी है। सुमाड़ी में जिस भूमि पर एनआईटी का स्थाई कैंपस बनना है, वहां हरे पेड़ होने की वजह से कार्यदायी संस्था काम नहीं कर पा रही थी। इसके लिए पहले पेड़ों के कटान की अनुमति वन विभाग से लेने को लेकर एनआईटी प्रशासन ने पत्राचार किया था। जिस पर वन विभाग की टीम ने कई दौर के निरीक्षण कर हरे पेड़ों का आंकलन किया था। अब जाकर एनआईटी के स्थाई परिसर के निर्माण में फंसा पेच हल हो पाया है। एनआईटी का अस्थाई कैंपस भी बीते कई सालों से श्रीनगर में संचालित हो रहा है। वन विभाग ने 979 पेड़ों में से पहले चरण में 315 पेड़ों के कटान की अनुमति अपनी कई शर्तों के साथ दे दी है। एनआईटी के स्थाई कैंपस बनाने के लिए सुमाड़ी के पास करीब 22.1598 हेक्टेअर भूमि का चयन हुआ है। सुमाड़ी में जिस जमीन पर एनआईटी कैंपस को बनना है, वहां विभिन्न प्रजातियों के 1650 पेड़ आ रहे है। हालांकि इसमें करीब साढ़े तीन सौ से अधिक ऐसे भी पेड़ है जिनके लिए वन विभाग की हरी झंडी की जरूरत नहीं है। गढ़वाल वन प्रभाग ने अपनी तमाम जांचों के बाद 979 पेड़ों को ही कटान में पाया।

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